एमपी में मासूम की आंखों की रोशनी कुपोषण ने छीन ली, शिवपुरी में दो बच्चियों की मौत से मचा बवाल, 12 बच्चे भर्ती_एनआरसी फुल

एमपी में मासूम की आंखों की रोशनी कुपोषण ने छीन ली, शिवपुरी में दो बच्चियों की मौत से मचा बवाल, एनआरसी फुल

कुपोषण से पीड़ित यह 3 साल की मासूम भटनावर गांव की संजना है। दुनिया के रंग देखने से पहले ही कुपोषण ने उसकी दोनों आंखों की रोशनी छीन ली। अभी शिवपुरी के पोहरी स्थि​त पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती है। बीते​ दिनों शिवपुरी में कुपोषण से दाे बच्चियों की मौत हो गई थी। इसके बाद एनआरसी फुल है। यहां 12 बच्चे भर्ती हैं। संजना के साथ उसकी एक साल की बहन कविता भी भर्ती है।

मां बबीता ने बताया कि अभी आंखों का इलाज नहीं कराया गया। संजना का वजन 12 से 15 किलो होना चाहिए, लेकिन है सिर्फ 6.2 किलो। नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉ. एचपी जैन और जेपी हॉ​स्टिपल के सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव के अनुसार, कुपोषण की वजह से विटामिन ए की कमी से कॉर्निया ड्राई होकर पिघलना शुरू हो जाता है। धीरे-धीरे रोशनी चली जाती है।

शिवपुरी जिले के पोहरी ब्लॉक के पटपरी ‎गांव में 2 कुपोषित आदिवासी बच्चियों की ‎मौत से मचे हड़कंप के बाद व्यवस्थाओं ‎को दुरुस्त करने का काम तेज हो गया है। ‎एसडीएम, महिला बाल विकास के अफसर ‎और पुलिसकर्मी गांव-गांव से बच्चे ढूंढकर ‎पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करवा रहे हैं। 8 ‎सितंबर को पोहरी के जिस 10 बिस्तर की ‎क्षमता वाले पोषण पुनर्वास केंद्र में 6 ‎कुपोषित बच्चे भर्ती थे, अब 15 सितंबर को ‎यहां 12 बच्चे भर्ती हो चुके हैं। गांव की ‎आंगनवाड़ी में भी पोषाहार अब नियमित ‎बंटने लगा है। ‎

बच्ची की मौत, दो बहनों को फिर भी राशन नहीं :
बच्चियों की मौत के बाद प्रशासन का ‎दावा है कि इनके परिवार को 35 किलो ‎राशन और लाड़ली बहना के एक हजार ‎रुपए प्रति माह दिया जा रहा है, लेकिन ‎मृत बच्ची प्रीति की मां सुमंत्रा ने हकीकत ‎इससे अलग बताई। उन्होंने बताया कि ‎उसकी दो बेटियों काे आज भी राशन ‎नहीं मिल रहा। वहीं, मुरैना की जिस बच्ची ‎लाली की मौत हुई, उसके पिता सोनू ने ‎बताया कि उन्हें न तो कभी राशन मिला ‎और न ही कभी पत्नी को लाड़ली बहना ‎के पैसे नहीं मिले, क्योंकि हमारा आधार ‎कार्ड ही नहीं है। कई बार बनवाने के ‎लिए कहा, लेकिन नहीं बना। ‎

मृत बच्ची प्रीति की मां सुमंत्रा और उसकी 2‎ बहनों को राशन नहीं मिलता है। सुमंत्रा का पति‎ राम भरत मजदूरी करके गुजारा करता है। राम भरत ‎का नाम उसके ससुर रमेश के परिवार में जुड़ा है, ‎लेकिन उसमें सुमंत्रा और उसकी तीनों बेटियों‎ (एक मृत) का नाम नहीं है। पंचायत सचिव से ‎कहा गया, लेकिन नाम नहीं जोड़ा।

पंचायत‎ सचिव साबिर खान का कहना है कि वे ‎केवाईसी में व्यस्त थे। सुमंत्रा ने आरोप‎ लगाया कि बच्चियों की मौत के बाद एक साथ 3‎ हजार खाते में आ गए। पहले नहीं मिलते थे।

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