पार्क की जमीन पर अतिक्रमण कर बना डाला विवाह घर का किचन एवं अन्य कमरे: परिजनो ने लगाए आरोप, गुलाब नगर रीवा, विस्तृत जानकारी पढ़िए खबर में
कहते हैं भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं परंतु इस मामले में ऐसा लगता है जैसे देर ही देर और अंधेर ही अंधेर है। कानून के लंबे हाथ भी इस मामले में अब तक तो बौने ही साबित हुए हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो फिर क्या कारण है कि इतने साल बीत जाने के बाद भी इस मामले में अब तक इंसाफ नहीं मिला। शिकायत पर शिकायत, तारीख पर तारीख चलती रही पर नहीं मिला तो वह है इंसाफ।
भूमि और माफिया यानी भू माफिया से जुड़ा यह एक हैरतअंगेज मामला है जिसमें पीड़ितों ने एक नहीं बल्कि जितने भी उपलब्ध मंच हैं, उस हर मंच पर जांच के लिए शिकायती आवेदन देकर देख लिया परंतु इंसाफ नहीं मिला। मिला तो सिर्फ ये कि जांच इधर उधर गोल गोल घूमती रही और नतीजा सिफर रहा है।
रीवा के वार्ड क्रमांक 15 गुलाब नगर का यह मामला है। गौरतलब है कि पारिवारिक खींचतान और विवाद का यह मामला है जहा संबंधित न्यायाकांछी पीड़ित परिजनों का आरोप है कि भूमि किसी और की है और विक्रय कोई और ही कर दिया है। साथ ही सार्वजनिक पार्क की जगह पर अतिक्रमण कर एक नामचीन विवाह घर का किचन, कमरा आदि निर्मित कर दिया गया है।
चलिए आपको विस्तार से बताते है क्या है पूरा मामला…
गुलाब नगर से ऐसा ही अमानत में खयानात और दबंगई के दम पर मंदिर और सार्वजनिक पार्क पर अतिक्रमण करने का मामला प्रकाश में आया है। आपको बता दें कि विनीत मिश्र,प्रमोद मिश्र, अनुराग और स्थानीय जनों का सीधा आरोप है कि गुलाब नगर में एक सार्वजनिक पार्क और मंदिर था जहा अब केवल मंदिर बचा है, जबकि सार्वजनिक पार्क पर क्षलपूर्वक अतिक्रमण कर पार्क का नामोनिशान मिटा दिया गया है और वहा पर अब विवाह घर का किचन और कमरा आदि निर्मित कर दिया गया है। आखिर यह सब किसके इशारे और संरक्षण पर किया गया है। किस रसूखदार नेता, अधिकारी या प्रभावशील व्यक्ति के संरक्षण में यह हुआ है? इसका जवाब गुलाबनगर वासी चाहते है।
स्थानीय जनों का कहना है कि मोहल्ले में मंदिर और पार्क था जहा वो दर्शन करते थे और सुबह शाम पार्क में घूमते टहलते थे, बच्चे भी पार्क में खेलते कूदते थे, सार्वजनिक पार्क था परंतु, धीरे धीरे पार्क को ध्वस्त कर निजी फायदे के लिए पार्क की जगह विवाह घर का कमरा,किचन आदि निर्मित कर दिया गया है।अब कहा टहलने और घूमने जाए आखिर ? गनीमत है कि मंदिर अभी तक सलामत है, हालाकि क्या भरोसा कब मंदिर भी ध्वस्त कर वहा भी कुछ न कुछ अवैध निर्माण हों जाए। क्युकी जब इतने बड़े सार्वजनिक पार्क को निस्तेनाबुद कर दिया गया तो मंदिर तो बहुत छोटा सा है। खेलने वाले कभी भी खेला कर सकते है।
स्थानीय जनों ने बताया कि इस आशय की शिकायत कई बार सक्षम और उपलब्ध प्लेटफॉर्म/विभाग में की गई पर नतीजा शून्य रहा है। कारण यही समझ मे आता है कि रसूखदारों और अधिकारी/कर्मचारियों की सांठ गाठ और मिलीभगत के सामने न्याय बौना साबित हो रहा!
(डिस्क्लेमर: उक्त आलेख में वर्णित जानकारी लेख में वर्णित लोगो द्वारा उपलब्ध कराई गई है, जिसे जैसे को तैसे लिपिबद्ध किया गया है, विराट 24 न्यूज संस्था उक्त ख़बर में अपनी तरफ से कोई दावा नही करता,न ही किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा है और ना ही किसी प्रकार की कोई जिम्मेवारी लेता है।)