INDIA CANADA Dispute: विदेश में ‘टारगेट किलिंग’ पर क्या कहते हैं अंतरराष्ट्रीय क़ानून

भारत और कनाडा विवाद: विदेश में ‘टारगेट किलिंग’ पर क्या कहते हैं अंतरराष्ट्रीय क़ानून

पिछले दिनों कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आशंका जाहिर की थी कि खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ हो सकता है.

इस गंभीर आरोप के बाद भारत और कनाडा के रिश्तों पर असर दिखने लगा है. कनाडा की ओर से अभी तक दावों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किए गए हैं लेकिन एक बहस छिड़ गई है.

भारत ने कनाडा के दावों को पूरी तरह ख़ारिज़ किया है. इसके उलट अमेरिका और इसराइल जैसे कई ऐसे देश हैं, जो अतीत में दूसरे देशों में टारगेट किलिंग को अंजाम दे चुके हैं और उन्होंने इसे सीधे तौर पर माना भी है.

मसलन पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन की हत्या. कई जानकारों का दावा है कि ये कार्रवाई एक तरह से अंतरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन की जद में आती थी लेकिन अमेरिका पर सीधे तौर पर कोई सवाल नहीं उठा.

ऐसे मामलों में अंतरराष्ट्रीय क़ानून क्या कहता है, ये जानने से पहले बात कनाडा की ओर से भारत पर लगाए गए आरोपों और भारत के जवाब को देख लेते हैं.

कनाडा के आरोप:
कनाडा के पीएम ट्रूडो ने 18 सितंबर को कनाडा की संसद में कहा था, ”कनाडा की ज़मीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी भी विदेशी सरकार की किसी भी तरह की भूमिका हमारी संप्रभुता का ऐसा उल्लंघन है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.”

ट्रूडो के इस आरोप के बाद भारत और कनाडा के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं. पहले कनाडा ने एक भारतीय राजनयिक को निकाला, बाद में भारत ने भी कनाडा के एक राजनयिक को निकाल दिया.

भारत ने तो कनाडा जाने वाले अपने नागरिकों के लिए एडवाइज़री भी जारी की है.
एक और कार्रवाई में भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा जारी करना फ़िलहाल बंद कर दिया है.
भारत ने इसे वहाँ की सुरक्षा स्थिति से जोड़ा है और कहा है कि इसकी नियमित समीक्षा होती रहेगी.
ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों पर आशंका जताने के बाद भारत से इस हत्याकांड से जुड़ी जाँच में सहयोग करने की अपील की है.
उन्होंने कहा कि भारत इस जाँच में पूरी पारदर्शिता के साथ सहयोग करे और सच्चाई पता लगाने में मदद करे.
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भी कनाडा के आरोपों को गंभीर बताया है और भारत से जाँच में सहयोग की अपील की है.

दूसरी ओर, भारत ने अपनी एजेंसियों पर निज्जर की हत्या के आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ”कोई भी ख़ुफ़िया जानकारी कनाडा से नहीं मिली है. न ही आरोप के पहले और न ही बाद में. हम किसी भी ख़ास सूचना पर गौर करना चाहेंगे, लेकिन अभी तक हमें कोई सूचना नहीं मिली है.”

टारगेट किलिंग’ पर छिड़ी बहस:

भारत ने भले ही निज्जर की हत्या में अपनी किसी एजेंसी का हाथ होने से इनकार किया हो लेकिन इस मामले के बाद विदेश में होने वाली ऐसी कथित हत्याओं पर बहस छिड़ गई है.

अमेरिका, इसराइल और रूस की ओर से अपने कथित दुश्मनों को विदेशी धरती पर मार गिराए जाने की घटनाओं के बाद इस तरह की बहस छिड़ती रही है कि क्या अंतरराष्ट्रीय कानून ऐसी हत्याओं की इजाजत देता है?

क्या कोई देश अपने लिए दुश्मन माने जा रहे किसी शख़्स की विदेशी धरती पर हत्या करवा सकता है?

क्या किसी विदेशी एजेंसी की ओर से किसी देश में की गई ‘टारगेट किलिंग’ उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है?

क्या अंतरराष्ट्रीय कानून इसकी इजाज़त देता है?

आइए इन सवालों के जवाब खोजने का प्रयास करते हैं.

टारगेट किलिंग’ के पक्ष और विपक्ष में तर्क:

दुनिया के कई देशों में इस बात को लेकर सहमति है कि उन्हें सशस्त्र संघर्ष के दौरान ‘दुश्मन’ को मारने का अधिकार है.

अमेरिका ने लादेन और सुलेमानी दोनों की हत्याओं के समय ये तर्क दिया था कि ‘ये उसके लिए ख़तरा थे.’

उसने अपनी आत्मरक्षा में उनकी हत्या की और ये अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत मान्य है.

लेकिन इस तरह की हत्याओं का विरोध करने वालों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार एजेंसियों के मुताबिक़ ऐसी हत्याओं को जायज नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि जिन्हें निशाना बनाया गया, उन्हें खुली अदालत में ख़ुद का बचाव करने का मौक़ा नहीं दिया गया.

अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन की वेबसाइट के मुताबिक़ अमेरिकी संविधान और अंतरराष्ट्रीय कानून सशस्त्र संघर्ष क्षेत्र के बाहर तब तक बल प्रयोग की इजाजत नहीं देता जब तक किसी ठोस, गंभीर और आसन्न खतरे के खिलाफ इसका इस्तेमाल जरूरी न हो जाए.

इसमें कहा गया है, “यहां तक कि हथियारबंद समूहों के ख़िलाफ़ सशस्त्र संघर्षों के दौरान भी अमेरिकी सरकार सिर्फ उन्हीं लोगों के खिलाफ घातक बल प्रयोग कर सकती है जो अमेरिका के खिलाफ सीधे दुश्मनी वाली गतिविधियों में हिस्सेदार हों.”

“जब भी सरकार घातक बल का इस्तेमाल करे तो वो ये निश्चित करे कि आसपास के नागरिकों को नुकसान न हो, लेकिन अमेरिका में कार्यपालिका की इजाजत से ऐसे बल प्रयोग में इन मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता.”

वेबसाइट में कहा गया है कि अमेरिका ने पाकिस्तान, सोमालिया, यमन और दूसरी जगहों पर इस तरह की गै़रक़ानूनी ‘टारगेट किलिंग’ को अंजाम दिया है. जब सरकार संविधान और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए ऐसी कार्रवाइयां करे तो उसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *