देश को दीपक पूनिया से कुश्ती में पदक की है पूरी उम्मीद
चीन का हांगज़ो शहर इन दिनों पूरी तरह सज धज कर 19वें एशियाई खेलों की मेज़बानी कर रहा है.
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भारत के 650 से ज़्यादा पुरुष और महिला खिलाड़ी भी विभिन्न स्पर्धाओं में अपना दमख़म दिखाने के लिए तैयार हैं. इनमें कुश्ती की फ़्री स्टाइल और ग्रीको रोमन स्पर्धा में भारत के 12 पुरुष और 6 महिला खिलाड़ी भी शामिल हैं.
पुरुषों की फ़्री स्टाइल स्पर्धा में 6 भार वर्ग हैं जिनमें 57 किलो भार वर्ग में अमन सहरावत, 65 किलो भार वर्ग में बजरंग पूनिया, 74 किलो भार वर्ग में यश, 86 किलो भार वर्ग में दीपक पूनिया, 97 किलो भार वर्ग में विकी चाहर और 125 किलो भार वर्ग में सुमित मलिक ने पदक जीतने के लिए अपनी अपनी कमर कसी है.
इनमें बजरंग पूनिया सबसे कामयाब और बेहद अनुभवी पहलवान हैं. उन्होंने दो बार एशियाई खेलों में पदक जीते हैं.
साल 2014 के इंचियोन एशियाई खेलों में उन्होंने 61 किलो भार वर्ग में रजत और साल 2018 के जकार्ता एशियाई खेलों में उन्होंने 75 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता.
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उनकी सबसे बड़ी कामयाबी पिछले 2020 टोक्यो ओलंपिक में रही जब उन्होंने अपने भार वर्ग 65 किलो में कांस्य पदक जीता. 29 साल के बजरंग पूनिया के लिए यह संभवतः अंतिम एशियाई खेल हो इसलिए वह हांगज़ो में पदक जीतने के लिए हर दांव पेंच लगाएँगे.
पिछले 2018 के जकार्ता एशियाई खेलों में भारत ने कुश्ती में तीन पदक जीते. इनमें पुरुष वर्ग में फ़्री स्टाइल स्पर्धा में बजरंग पूनिया ने 65 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक और महिलाओं में विनेश फोगाट ने 50 किलो भार वर्ग में स्वर्ण और दिव्या काकरान ने 68 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक जीता.
भारत ने पिछले एशियाई खेलों में 16 स्वर्ण, 23 रजत और 31 कांस्य पदक सहित 70 पदक जीते थे. इस बार भारतीय खिलाड़ी एशियाई खेलों में 100 पदक जीतने के लक्ष्य को सामने रखकर अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं.
इस लक्ष्य को हासिल करने में भारतीय खिलाड़ी कितना कामयाब होंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन भारत का पिछला प्रदर्शन बताता है कि अगर सिर्फ़ कुश्ती की बात करें तो पदक जीतना इतना आसान भी नहीं होता. पिछले एशियाई खेलों में कुश्ती में मिले तीन पदक इसकी गवाही देते हैं.