श्रीनिवास तिवारी ‘दादा’ की जयंती रीवा में मनाई गयी, गरीबों को बांटे गए फल, आम आदमी के जननायक थे दादा

श्रीनिवास तिवारी ‘दादा’ की जयंती रीवा में मनाई गयी, गरीबों को बांटे गए फल

‘दादा नहीं दऊ आय’, रीवा में बैठकर एक फ़ोन से हिला देते थे राजधानी
श्रीनिवास तिवारी का जन्म उनके ननिहाल में 17 सितम्बर 1926 को हुआ था। उनका गृह ग्राम रीवा जिले का तिवनी था।

रीवा: मध्य प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विन्ध्य के सफेद शेर के नाम से मशहूर, अपने राजनीतिक जीवन में धाकड़ नेता और विंध्य के राजनीतिक पुरोधा रहे स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी जिनको जनता प्यार से दादा कह कर पुकारती थी।

आज 17 सितंबर को दादा श्रीनिवास तिवारी का जन्मदिवस है। उनकी जयंती के अवसर पर उनके चाहने वाले और कांग्रेसी जन उनकी 98वीं जयंती मना रहे हैं आपको बता दें की मुख्य कार्यक्रम इस बार त्योंथर में पूर्व लोकसभा प्रत्याशी राज तिवारी सिद्धार्थ श्रीनिवास तिवारी के पोते मना रहे हैं।

Also Read: Hartalika Teej 2023 (तीजा): 17 या 18 सितंबर, हरतालिका तीज को लेकर अगर आप भी हैं कंफ्यूज तो नोट कर लें सही तारीख, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि, पहली बार रख रही हैं हरतालिका तीज का व्रत तो जान लें ये नियम, इस दिन भूलकर भी नहीं करने चाहिए यह 5 काम

एक वक्त था जब स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी की जन्मदिन पर बड़ी सभाएं होती थी। कई दिग्गज नेता शामिल होते थे। मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक कई मंत्री दादा श्रीनिवास तिवारी की जन्म दिवस पर उपस्थित होते थे और बड़ी जनसभा होती थी। लेकिन समय का चक्र बदला और अब स्थिति कुछ और ही है।लेकिन दादा को चाहने वाले आज पीली कोठी स्थित साइ मंदिर में गरीबों को फल वितरण कर दादा को याद किये। दादा को श्रद्धा सुमन अर्पित किये है।

आज हम जन्मदिन स्पेशल में बात करने वाले हैं मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता स्व. श्रीनिवास तिवारी के बारे में। जिन्हें प्रदेश में ‘सफेद शेर’ के नाम से भी जाना जाता था। लोग प्यार से उन्हें दादा श्रीनिवास बुलाते थे। उनसे जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जिसे आज भी लोग बड़े चाव से सुनाते हैं। विंध्य क्षेत्र के लिए सदैव खड़े रहने के कारण उन्हें विंध्य पुरुष भी कहा जाता है। वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता और विधानसभा के स्व.पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी स्वभाव से निर्भीक, गहरी राजनीतिक समझ, प्रभावी वक्ता, संसदीय ज्ञान, वचन के पक्के और समाजवाद के पोषक थे। उनके कामकाज की शैली के चलते उनके चाहने वाले उन्हें ‘WHITE TIGER” कहने लगे थे। संसदीय ज्ञान के मामले में विरोधी भी उनका लोहा मानते थे। यही वजह है कि उन्हें दस साल तक विधानसभा अध्यक्ष और ढाई साल तक विधानसभा उपाध्यक्ष के तौर पर सदन संचालन का दायित्व सौंपा गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *