Eye Flu Treatment: मात्र 24 घंटे में ठीक हो जायेगा, बस घर में मौजूद इन चीजों का उपयोग कर लीजिये

Eye Flu Treatment: मात्र 24 घंटे में ठीक हो जायेगा, बस घर में मौजूद इन चीजों का उपयोग कर लीजिये

आजकल बरसात के मौसम अन्य संक्रामक बिमारियों के साथ साथ आई फ्लू की भी बहार है। जिले में लगभग पचास प्रतिशत लोग इसके चपेट में है। बच्चे, बूढ़े, नौजवान, महिला, पुरुष सब इस बीमारी से ग्रसित है, हो रहे हैं। आलम यह है कि अगर घर या दफ्तर का कोई एक सदस्य इसकी गिरफ्त में आया तो इसका संक्रमण इतना तेज और प्रभावी है कि फिर सभी इसकी जद में है। सभी के इस आई फ्लू से प्रभावित हो जाने की सम्भावना बहुत ज्यादा है। इसीलिए हिदयात दी जाती है कि अगर किसी को आपके आस-पास या परिजन को हुई यह बिमारी तो उचित दुरी बनाकर रखे।

आई फ्लू 24 घंटे में हो जाएगा ठीक घर में रखी इन 3 चीजों से धो लें अपनी आंखें आयुर्वेद के नुस्खे

बरसात के मौसम में कई प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस और एलर्जी का रिस्‍क बढ़ जाता है यही वजह है कि इस बार आई फ्लू ने लोगों को परेशान कर दिया है। आंखों में खुजली और चिपचिपा पानी आने के साथ ही रेड या पिंक आई वाली इस बीमारी से लाखों लोग जूझ रहे हैं।
आई फ्लू होने पर जहां लोग अस्‍पतालों में जा रहे हैं तो कुछ लोग खुद ही आई ड्रॉप्स खरीदकर इलाज कर रहे हैं लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि आपके घर और रसोई में ऐसी चीजें मौजूद हैं जो आई फ्लू जैसी बीमारियों को छूमंतर करने में कारगर हैं।

आयुर्वेदाचार्य डॉ ओ पी गौतम (BAMS) खुटेही रीवा, ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस या आई फ्लू फैलने के कई कारण बताए गए हैं। यह संक्रमित व्‍यक्ति के कपड़े छूने से, साथ में सोने से, साथ में खाना खाने से, हाथ मिलाने से, गले मिलने से, उनके कपड़े मसलन तौलिया, रूमाल, गमछा, तकिया, बिस्तर आदि का उपयोग करने से और अपने हाथों से बार बार मुख, आंखें इत्यादि को छूने से होता है। यह एक बड़ी ही तेजी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। बरसात के मौसम में इसका प्रकोप ज्यादा ही देखने में आता है।
इलाज के रूप में कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे बताये है जिनका उपयोग करके जल्द ही इस संक्रमण से बचा जा सकता है। अच्छी बात ये है कि ये चीजे आपके घर की रसोई में मौजूद हैं। आयुर्वेद के अनुसार आंखों की बीमारियों से बचने के लिए त्रिफला क्‍वाथ से आंखें धुलना बेहद फायदेमंद हैं।

आंखें लाल होना है बड़ा लक्षण :
इस बीमारी का प्रमुख लक्षण आंखें लाल होना और आंखों में किरकारापन महसूस होने के अलावा पानी आना और खुजली होना है। अगर किसी की एक आंख में कंजक्टिवाइटिस है और अगर आप उसे छूते हैं और फिर बिना साबुन से हाथ धोए उसी हाथ से दूसरी आंख को भी छू लेते हैं तो इससे भी दूसरी आंख संक्रमित हो जाती है। इसलिए बचाव के उचित तरीकों को जानना जरूरी है।

आंख का सफेद भाग में सूजन यानि कंजक्टिवाइटिस :
डॉ. कहते हैं कि आंखों के संक्रमण से आंख के सफेद भाग यानि कंजक्टिवा में सूजन हो जाती हैं और यह पलकों की आंतरिक परत तक होती है। जब सफेद भाग (कंजक्टिवा) की सूक्ष्म रक्त नलिकाएं सूज जाती हैं, तो आंखों का यह सफ़ेद भाग लाल या गुलाबी दिखने लगता है। इसलिए इसे पिंक आई भी कहा जाता है। इन दिनों वायरल कंजक्टिवाइटिस का प्रकोप ज्‍यादा है पर जब इसमें बैक्टीरियल संक्रमण हो जाता है तो यह गंभीर हो जाता है।

रसोई में मौजूद है इलाज :
डॉ. अंकुर कहते हैं कि आई फ्लू होने पर या आई फ्लू से बचने के लिए रसोई में मौजूद 3 चीजों से आंखों को धुलना काफी फायदेमंद है. पहला आप साफ पानी से आंखें धो सकते हैं. दूसरा त्रिफला क्वाथ से आंखें धो सकते हैं और तीसरा गुलाब जल से आंखें धुल सकते हैं. इसमें साफ जल और गुलाब जल तो सामान्‍य रूप से इस्‍तेमाल किए जा सकते हैं लेकिन त्रिफला क्‍वाथ आपको बनाना पड़ेगा. इसकी विधि नीचे दी गई है.

त्रिफला क्वाथ बनाने की विधि >सामग्री: त्रिफला चूर्ण, साफ जल
एक व्यक्ति के लिए लिए एक गिलास साफ पानी पीने वाला उसमें दो चुटकी त्रिफला चूर्ण डालकर उबालें, अच्छे से उबल जाए तब नीचे रख दे, जब साधारण गुनगुना हो जाए तब उस त्रिफला क्वाथ पानी को एक सूती कपड़े की सात-आठ परत या लेयर बना के छान लें ताकि उसमें कोई चूर्ण के कण ना आएं और फिर उस छने हुए त्रिफला क्वाथ पानी से दो अलग-अलग गिलास में डाल दें। इस क्‍वाथ से दोनो आंखों को अलग-अलग धोएं।

कई हैं विधियां :
आयुर्वेद की ओर से साधारण नेत्र प्रक्षालन के लिए कई चीजें बताई गई हैं लेकिन इन्‍हें वैद्य के परामर्श से ही इस्‍तेमाल कर सकते हैं। जैसे – त्रिफला, दारू हरिद्रा, यष्ठीमधु से बने क्वाथ से, गुलाब जल से।

इन बातों का भी रखें ध्‍यान :
हाथों को बार-बार साबुन से धोना, साफ सूती रूमाल या तोलिया उपयोग करना, आंखों को न मसलना, संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना, और अगर कोई संक्रमित व्यक्ति हैं तो वो काले चश्मे का उपयोग करें, भीड़भाड़ वाली जगह पे जाने से बचे स्विमिंग पूल, नदी आदि में एक साथ नहाने से बचे, साधारण व लघु(हल्का) सुपाच्य भोजन करें, वैद्य के परामर्श से सप्ताह में एक बार उपवास कर सकते हैं, जिससे पाचन शक्ति ठीक रहती हैं. वहीं ज्‍यादा परेशानी हो तो चिकित्सक से उचित परामर्श करें, खुद ही सीधे मेडिकल से दवाई लेने से बचें।

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