रीवा: जातीय समीकरण फिर हुए मुखर, माहौल गरमाया! जातिगत राजनीति का वि.स.चुनाव पर क्या पड़ेगा असर?

रीवा: जातीय समीकरण फिर हुए मुखर, माहौल गरमाया! आखिर जातिगत राजनीति का आगामी विधानसभा चुनाव पर क्या और कितना पड़ेगा असर?

  • रीवा जिले इस बार जाति आधारित राजनीति कितनी होगी असरदार ?
  • विंध्य की तरह रीवा भी जाति आधारित राजनीति में डूबा आकंठ…
  • जिले में जातीय समीकरण फिर हुए मुखर, माहौल गरमाया

गौरतलब है कि है रीवा जिले में अभी तक आठ विधानसभा रही है…रीवा, मंनगवा, देवतालाब, मऊगंज, गुढ़, सिरमौर, सेमरिया और त्यौंथर।

हालाकि, अब मऊगंज एक अलग ज़िला बन चुका है, परंतु अभी विधानसभा चुनाव के नजरिए से स्पष्ट निर्देश नही है या यूं कहे कि अभी मऊगंज जिला पूरी तरह से क्रियान्वित नही है। इसलिए हम इस लेख में मऊगंज को भी ले रहे है।

रीवा जिला से राज्य की राजधानी भोपाल रेल द्वारा मात्र रात भर की यात्रा है। परन्तु अगर विकास की दृष्टि से देखा जाए तो यह प्रकाश वर्ष दूर भी हो सकता है। हालाकि राजधानी भोपाल भी देश के दिल दिल्ली या महानगर मुंबई से विकास के मामले में उतना ही दूर है जितना धरती से अम्बर।

प्रदेश में पिछले 17 सालो से बीजेपी सरकार काबिज है(बीच के लगभग डेढ़ साल कांग्रेस सरकार के छोड़ दे तो) तो निश्चित है कि अगर उपलब्धियों की वाहवाही बीजेपी लेगी तो अनुपलब्धियो/कमियों का खामियाजा भी बीजेपी के सर ही फूटेगा।इस बात से तो किसी को गुरेज नहीं होना चाहिए।

रीवा उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा है और वास्तव में उत्तरी पड़ोसी राज्य की जाति-आधारित राजनीति को दर्शाता है या यूं कहे कि पड़ोसी राज्य की जाति आधारित राजनीति की आबोहवा यहां की राजनीतिक फिजा में घुल मिल गई है। आलम ये है कि इस जिले के लोगो को भी जाति आधारित राजनीति रास आती है। सड़क,बिजली,पानी आदि विकास के मुद्दे भले ही एक बार गौण हो जाए परंतु जाति का मुद्दा जरूर हावी रहता है।फिर भले ही कुछ जगह घोषित रूप में हो तो कुछ जगह अघोषित रूप में, ये तो दिगर बात है। अनेकों ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने जाति के नाम पर जिले की राजनीति में बादशाहत का स्वाद चखा है। 

2023 में रीवा जिले की अनुमानित धार्मिक जनसंख्या आंकड़े :
हिंदू : 2,655,448 (95.93%)
मुसलमान: 99,969 (3.61%)
ईसाई: 2,299 (0.08%)
सिख: 974 (0.04%)
बौद्ध: 1,154 (0.04%)
जैन: 767 (0.03%)
अघोषित: 7,239 (0.26%)
अन्य: 272 (0.01%)
कुल अनुमानित जनसंख्या: 2768120

विकास की कमी और जाति के आधार पर राजनीतिक निष्ठा जिले के कुछ प्रमुख लक्षणों में से एक है। आपको तो याद ही होगा कि स्थापना के शुरुआती वर्षों में प्रधान रूप से जाति की राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने राज्य में कहीं भी अपनी जड़ें जमाने से पहले रीवा जिले में जड़ें जमा लीं थी। हालत ये है कि जाति के आधार पर भाजपा , कॉन्ग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल भी इस जिले में टिकट वितरण करते है।

2023 में रीवा जिले की अनुमानित जनसांख्यकी: 

  • रीवा की अनुमानित जनसंख्या: 2768120
  • पुरुषों की अनुमानित जनसंख्या: 1433857
  • महिलाओं की अनुमानित जनसंख्या: 1334263
  • पुरुष महिला लिंगानुपात: 931
  • अनुसूचित जाति का प्रतिशत: 16.21,
  • अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत: 13.19
  • यानी एससी/एसटी का जनसंख्या में प्रतिशत: 30
  • एवम सामान्य एवं अन्य का जनसंख्या में प्रतिशत: 70

चूंकि जाति-आधारित जनगणना आखिरी बार 1921 में ही हुई थी, इसलिए कोई निश्चित आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि जिले में लगभग 25 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता हैं और ठाकुर, केवल एक प्रतिशत कम हैं।

इसमें कोई आश्चर्य की बात नही होनी चाहिए कि मुख्यधारा के राजनीतिक दल पारंपरिक रूप से जिले की अधिकतर सीटों पर ब्राह्मण और ठाकुर उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारते हैं। आज भी जिले में इन्ही दोनो जातियों के विधायक सबसे ज्यादा है। [आंकड़े: (ब्राह्मण+छत्रिय: 8 में से 6)]

by Er. Umesh Shukla for ‘Virat24’ news

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