मप्र: पांच माह की बच्ची के पेट में मिला 300 ग्राम के दो भ्रूण ! पढ़िए हैरान कर देने वाले मामले को

मप्र: पांच माह की बच्ची के पेट में मिला 300 ग्राम का भ्रूण ! पढ़िए हैरान कर देने वाले मामले

सतना की रहने वाली है यह बच्ची और उसके परिजन।

भोपाल/सतना: प्रदेश में हैरान कर देने वाला मामला प्रकाश में आया है। जिसे जो जान रहा है वह हैरत में पद जा रहा है। संभवतः यह प्रदेश का पहला मामला भी है।
दरअसल एम्स में आधा दर्जन डॉक्टरों की टीम ने तीन घंटे से ज्यादा समय तक चले ऑपरेशन के जरिए पांच महीने के बच्ची के पेट से 300 ग्राम वजन का भ्रूण निकाला है। बताया जा रहा है कि भ्रूण की रीढ़ की हड्डी, सिर और पैर लगभग बन गए थे। हलाकि अभी शरीर के अन्य अंग विकसित नहीं हुए थे। परन्तु संभव है कि अगर समय रहते पता न चल पाटा और ऑपरेट न किया जाता तो बात बिगड़ सकती थी। बहरहाल ऑपरेशन किया गया और ऑपरेशन के बाद बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।

सर्जरी टीम में ये रहे शामिल :
डॉ. प्रमोद शर्मा, डॉ. रोशन चंचलानी, डॉ. अंकित के, डॉ. ज़ैनब अहमद, डॉ. प्रतीक और डॉ. प्रीति सहित अन्य मेडिकल टीम के लोग ऑपरेशन करने में शामिल रहे है।

भ्रूण के अंदर भ्रूण :
इस स्थिति को मेडिकल भाषा में ‘फीटस इन फीटू’ (भ्रूण के अंदर भ्रूण) कहा जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में संभवत: यह पहला ऐसा मामला है। दरअसल, सतना की रहने वाली यह बच्ची जब 15 दिन की थी तो परिजनों को पेट के एक हिस्से में सूजन दिखी। परिजनों ने पहले सतना में ही डाक्टर को दिखाया। सतना में डॉक्टर ने कैंसर की आशंका जताई और बच्ची को भोपाल एम्स ले जाने की सलाह दी थी। जहा परीक्षण उपरांत फीटस इन फीटू की बात चली। जिसका अब ऑपरेशन कर दिया गया और बच्ची स्वास्थ्य बताई गयी है।

क्या है ‘फीटस इन फीटू’ बीमारी ?
फीटस इन फीटू’ एक तरह की विकृति है इसे वैज्ञानिक भाषा में पैरासाइटिक ट्विन भी कहा जाता है। इसकी पहचान करने के लिए विशेषज्ञों के पास प्राथमिक जांच में अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर 5 लाख बच्चों में से किसी एक में इस तरह का केस पाया जाता हैं।

स्तिथि बेहद गंभीर थी> आंत और तिल्ली की नसें भ्रूण से चिपक गई थीं (बेहद जटिल रही सर्जरी):
डॉक्टरों की टीम ने बताया कि आंत और तिल्ली की नसें भ्रूण से चिपकी हुई थीं। इन नसों को बिना काटे अलग करना पड़ा, इसलिए सर्जरी बेहद जटिल थी। सर्जरी के बाद बच्ची को पांच दिनों तक अस्पताल में रखा गया। पहला फॉलोअप एक हफ्ते बाद और दूसरा एक महीने बाद बुलाया गया। फिलहाल बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। जिससे परिजनों ने राहत की सांस ली है और डॉक्टर्स का शुक्रिया करते नहीं तक रहे है।

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