बीजेपी 2023 में होने वाले चुनाव को 2024 का सेमीफाइनल मान रही है….पढ़िए बीजेपी कैसे विधायकों के मंथन से 2023 में ‘अमृत’ निकालने को है प्रयासरत
बीजेपी को एमपी में सत्ता विरोधी लहार का डर तो राजस्थान में शुभ संकेत
गौरतलब है कि देश के चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश गर्म है और उसी के बहाने 2024 के लोकसभा चुनाव की बिसात भी बिछाई जा रही है. 2023 में होने वाले चुनाव को 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है, क्योंकि चार राज्यों के चुनावी नतीजे का प्रभाव अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर जरूर पड़ेगा. ऐसे में हर राजनितिक दल ने कमर कस ली है खासकर बीजेपी, कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों ने.
इस लेख में हम बीजेपी के नजरिये से आगामी विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में क्या कुछ करने की जुगत में है उस पर ध्यानाकर्षण करेंगे….
बीजेपी ने सेमीफाइल को फतह करने के लिए अपने विधायकों की पूरी फौज उतार रखी है. जिन जिन राज्यों में चुनाव होने है वहा वहा के लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में दूसरे प्रदेशों के विधायकों को बुलाकर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है. बीजेपी के साढ़े चार सौ से भी अधिक विधायक ग्राउंड वर्क कर अपने-अपने घर लौट रहे हैं. अब उनका काम है अपनी रिपोर्ट जमा कर आलाकमान को अवगत कराना. विधायकों वाला फॉर्मूला अगर हिट रहा और अमृत निकला तो बीजेपी 2024 की चुनावी बिसात इसी रणनीति पर बिछा सकती है.
आपको बता दें कि बीजेपी ने पिछले ही हफ़्ते अपने साढ़े चार सौ से अधिक विधायकों की चुनावी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में ड्यूटी लगाई थी. इन विधायकों को हफ्ते भर एक विधानसभा में रह कर उस इलाके में बीजेपी की कमजोरी से लेकर मज़बूती की हर वजहें बताने को कहा गया था. संगठन से लेकर उस इलाक़े की प्रभावशाली जाति के लोगों से मिलने का भी निर्देश दिया गया था. यूपी, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र के बीजेपी विधायकों को चुनाव से जुड़ी इस रणनीति में शामिल किया गया. हफ्ते भर तक ग्राउंड पर काम करने के बाद ये सभी विधायकों ने अपने अपने इलाके में प्रेस कांफ्रेंस भी किए.
MP में बीजेपी उहापोह में :
यूपी और गुजरात के अधिकतर बीजेपी विधायकों की ड्यूटी मध्य प्रदेश में लगाई गई थी. एमपी के आदिवासी इलाक़ों की ज़िम्मेदारी गुजरात के एमएलए को दी गई थी. जिस इलाक़े में ब्राह्मण वोटर अधिक हैं वहां उसी बिरादरी के विधायकों को भेजा गया था. जैसे रीवा ज़िले में यूपी के ब्राह्मण विधायकों रत्नाकर मिश्र से लेकर प्रकाश द्विवेदी की ड्यूटी लगाई गई थी. मध्य प्रदेश के दौरे पर गए बीजेपी विधायकों में से एक बड़े तबके का मानना है कि चुनाव कठिन है.
बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर :
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के साथ साथ बीजेपी के स्थानीय विधायकों के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी का माहौल है, लेकिन लाड़ली बहना योजना समेत कई लोक कल्याणकारी योजनाओं के कारण बीजेपी लड़ाई में बनी हुई है. प्रवास कार्यक्रम से लौटे बीजेपी विधायक ने बताया कि अगर मध्य प्रदेश चुनाव में टिकट सही लोगों को मिला और संगठन ने साथ दिया तो फिर एक बार राज्य में बीजेपी की सरकार बन सकती है. कुछ विधायकों ने पार्टी नेताओं की आपसी गुटबाज़ी और झगड़े को लेकर भी रिपोर्ट बनाने की बात की है. इस तरह से बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश की सियासी जंग आसान नहीं है.
राजस्थान में बीजेपी को ख़ुशख़बरी के चांस :
चुनावी राज्यों के दौरे पर गए बीजेपी विधायकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही पता करना था. राजस्थान गए यूपी के एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस बार पार्टी जिसको टिकट देगी वो चुनाव जीत जाएगा. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में उस समय के बीजेपी विधायक के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी था. तब बीजेपी जितने वोट से हारी थी उससे अधिक वोट नोटा को मिल गया था. उनकी ही तरह यूपी से राजस्थान गए बीजेपी के करीब ग्यारह विधायकों ने बताया कि अब वहां पार्टी अच्छे पॉज़ीशन में है. कोई बड़ी अनहोनी ही बीजेपी को राजस्थान में सरकार बनाने से रोक सकती है.
विधायकों की फ़ौज और कहानिया भी उतनी ही :
चार राज्यों के बीजेपी विधायकों ने सात दिनों तक चुनावी राज्यों का दौरा किया और अब वो अपने-अपने राज्य को लौट चुके हैं. जितने विधायक, उतने ही क़िस्से और कहानियां भी. कुछ विधायकों ने बीजेपी नेतृत्व से मिले काम को पूरी ईमानदारी से किया. वहीं बीजेपी के एक विधायक तो अपना काम बीच में ही छोड़ कर गोवा घूमने चले गए. ये बात अलग है कि उनकी चोरी पकड़ी गई और बात ऊपर तक पहुंच गई. अब वे सफ़ाई देते घूम रहे हैं.
गोवा घूमने वाले विधायक जिस राज्य से विधायक चुने गए हैं, वहां पर बीजेपी की डबल इंजन वाली सरकार है. ऐसे ही बीजेपी के एक और विधायक , जिन्हें मध्य प्रदेश भेजा गया था वो विवादों में फंस गए हैं. बीमारी का बहाना बनाकर वे भी दो दिनों के लिए गायब हो गए थे लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की नजरों से वे भी नहीं बच पाए.
बड़े बड़े होटल में ठहरने की भी रही चर्चा :
महाराष्ट्र के एक बीजेपी विधायक के एक ऐसे मंहगे होटल में ठहरने की खूब चर्चा है जिसके मालिक बीजेपी से टिकट मांग रहे हैं. उस ज़िले के पार्टी अध्यक्ष ने उस विधायक के किसी और होटल में ठहरने का इंतज़ाम किया था. पर वे वहां नहीं रूके और अब उनकी भी शिकायत हो चुकी है.
साढ़े चार सौ विधायक की लगी ड्यूटी :
एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम में इसी साल के आख़िर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इनमें से तीन राज्यों एमपी, राजस्थान और तेलंगाना में बीजेपी ने साढ़े चार सौ से भी अधिक विधायकों को ज़मीन पर जाकर सच पता लगाने की ज़िम्मेदारी दी. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पहली बार इस तरह का प्रयोग किया है. इस रणनीति के तहत सभी विधायकों को एक एक विधानसभा सीट दी गई. वहाँ जाकर एक हफ़्ते तक रह कर पूरी जानकारी लेकर रिपोर्ट देने को कहा गया. इसे विधायक प्रवास कार्यक्रम नाम दिया गया है. अपने अपने घर लौटकर विधायक अब रिपोर्ट तैयार करने में जुटे हैं. जिन सीटों पर पिछले चुनाव में बीजेपी हार गई थी, उसका कारण क्या रहा होगा?
2024 में बीजेपी का यही फॉर्मूला होगा :
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में विधायकों वाला फॉर्मूला हिट रहा तो उसी को आगामी चुनाव में भी आजमा सकती है. बीजेपी के एक राष्ट्रीय महासचिव ने बताया कि अगर विधायक प्रवास कार्यक्रम सफल रहा तो फिर लोकसभा चुनावों के लिए भी इसे आज़माया जा सकता है. हालांकि, बीजेपी ने 2019 में हारी हुई लोकसभा सीटों के लिए मोदी सरकार के मंत्रियों को जिम्मेदारी एक साल से दे रखी है, जिनके रिपोर्ट पर ही 2024 के चुनाव में टिकट देने की रणनीति है. बीजेपी ने 2019 की हारी हुई 160 सीटों को लेकर एक सितंबर को बैठक भी बुलाई है, जिसमें इन सीटों के कैंडिडेट चयन पर चर्चा होगी. माना जा रहा है कि बीजेपी 2023 के चुनावी नतीजे के बाद 2024 के चुनाव में विधायकों वाले फॉर्मूले को आजमा सकती है?