जबलपुर के एक दो नहीं बल्कि 13 सरकारी कॉलेजों के नाम बदले जायेगे, पढ़िए क्या है वजह? कही आगामी चुनाव से तो नहीं कोई लेना देना!

जबलपुर के एक दो नहीं बल्कि 13 सरकारी कॉलेजों के नाम बदले जायेगे, पढ़िए क्या है वजह? कही आगामी चुनाव से तो नहीं कोई लेना देना!

जबलपुर: गौरतलब है कि संभाग के तेरह सरकारी कॉलेजों के नाम बदलने की तैयारी चल रही है। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा किया जाना तय माना जा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग के पास स्थानीय स्तर पर संस्थानों के नाम परिवर्तन को लेकर प्रस्ताव मिला था जिस पर जिला योजना समिति में रखकर नाम परिवर्तन की प्रक्रिया की जा रही है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार इसमें जबलपुर के दो शिक्षण संस्थान समेत कुल 13 कालेज है जिनके नाम परिवर्तन होने हैं। जबलपुर का अग्रणी शासकीय महाकोशल कालेज और रांझी कन्या कालेज के नाम में बदलाव किया जाना है।

उच्च शिक्षा विभाग ने नामकरण को लेकर की गई कार्रवाई में जबलपुर के अलावा सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट और नरसिंहपुर जिले के कालेज शामिल है।

ओशो का नाम जुड़ेगा इस कॉलेज के नाम में :
जबलपुर में शासकीय महाकोशल कला एवं वाणिज्य कालेज अब ओशो के नाम से जाना जाएगा। कालेज के नाम के आगे ओशो दर्ज होगा। इस आशय का निर्णय जिला योजना समिति की बैठक में हुआ है। कॉलेज प्रबंधन ने बताया है कि आचार्य रजनीश यहां पर अध्यापन कार्य करते थे। उनके सम्मान में ओशो नाम का प्रस्ताव पहले दिया गया था जिस पर योजना समिति में सहमति मिल गई है। जैसे ही आदेश जारी होंगे नाम दर्ज करवा दिया जाएगा।

कभी ओशो यहाँ प्राध्यापक थे :
ज्ञात हो कि जिले का अग्रणी महाकोशल कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय का पूर्व नाम राबर्टसन कालेज था। कालांतर में साइंस व आर्ट के विभाग के साथ यह साइंस कालेज व महाकोशल कालेज के रूप में विभक्त हो गया। कभी आचार्य रजनीश यहां पर प्राध्यापक थे। यहां नियुक्त रहने के दौरान वे जिस कुर्सी पर बैठा करते थे, वह ओशो चेयर में रूप में महाकोशल कालेज को देश-दुनिया में ख्याति दिला चुकी है। ओशो की अध्ह्यापन की शैली ऐसी थी कि जो उनको एक बार सुन लेता था उनका मुरीद हो जाता था। बताया जाता है कि वे पंरपरा से हटकर नवाचार को महत्व देते थे। यही वजह है कि वे अपना स्वयं का दर्शन स्थापित करने में समर्थ रहे। ओशो के आज भी करोड़ो समर्थक अनुयायी सारे संसार में है। हजारो की संख्या में उनके नाम पर संस्थान चल रहे है जहा ओशो के दर्शनशास्त्र को पढाया-सिखाया जाता है।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के नाम से भी होगा कालेज :
रांझी कन्या का नया नाम स्वर्गीय ईश्वरदास रोहाणी शासकीय कन्या महाविद्यालय होगा। ईश्वरदास रोहाणी यहां से पूर्व विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रह चुके है। उनके निधन के पश्चात उनके बेटे अशोक रोहाणी ने इस विधानसभा से चुनाव जीता और विधायक बने।

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