चंद्रयान-3: विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर क्या करेंगे ?

चंद्रयान-3: विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर क्या करेंगे ?

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर लगातार चांद की सतह और वायुमंडल में नई-नई खोज कर रहे हैं

प्रज्ञान रोवर 500 मीटर यानी 1600 फीट तक चांद की सतह पर जा सकता है. स्पीड 1 सेंटीमीटर प्रति सेकेंड हैं. यह अगले 13 दिनों तक चांद की सतह पर तब तक काम करता रहेगा, जब तक इसे सूरज की रोशनी से ऊर्जा मिलती रहेगी. तब तक यह अपने कैमरों की मदद से चांद की सतह और विक्रम लैंडर की तस्वीर लेता रहेगा.

चंद्रयान-3 मिशन के लिए नैवकैम को लेबोरेटरी फॉर इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम्स (LEOS) ने बनाया है. प्रज्ञान रोवर में एक तरफ ये दो नैवकैम लगे हैं. असल में रोवर का कुल वजन 26 kg है. यह तीन फीट लंबा, 2.5 फीट चौड़ा और 2.8 फीट ऊंचा है. छह पहियों पर चलता है.

प्रज्ञान रोवर के अंदर क्या-क्या लगा है?
यहां दिखाई गई तस्वीर में अगर आप क्लॉकवाइज यानी घड़ी के घूमने की दिशा में चलें तो सबसे पहले दिख रहा है सोलर पैनल. यानी ये सूरज की गर्मी से ऊर्जा लेकर रोवर को देगा. उसके ठीक नीचे दिख रहा सोलर पैनल हिंज. यानी जो सोलर पैनल को रोवर से जोड़कर रखता है. इसके बाद है नेव कैमरा यानी नेविगेशन कैमरा. ये दो हैं. ये रास्ता देखने और चलने के लिए दिशा तय करने में मदद करते हैं.
इसका चेसिस दिख रहा है. सोलर पैनल के नीचे आने पर उसे संभालने वाला सोलर पैनल होल्ड डाउन है. नीचे छह व्हील ड्राइव असेंबली है. यानी पहिए लगे हैं. इसके अलावा रॉकर बोगी है. जो पहियों को ऊबड़-खाबड़ जमीन पर चलने के लिए मदद करते हैं. इसके अलावा रोवर के निचले हिस्से में रोवर होल्ड डाउन लगा है. अगर रोवर चल नहीं रहा होता तो वह जमीन से जुड़कर एक जगह टिका रहेगा. ताकि भविष्य में उसे उठाया जा सके.
इसके अलावा इसके बगल में लगा है वार्म इलेक्ट्रॉनिक्स बॉक्स यानी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जो गर्म माहौल में बेहतर तरीके से काम कर सकें. रोवर को दिए गए इंस्ट्रक्शन के हिसाब से चलाते रहें. फिर है डिफ्रेंशियल्स यानी हर यंत्र और हिस्से को अलग रखने के लिए बनाई गई दीवार. ऊपर है एंटीना, जो लैंडर के साथ संपर्क साधने में मदद करते हैं.

विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?
रंभा (RAMBHA)…यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा.
चास्टे (ChaSTE)…यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा.
इल्सा (ILSA)…यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा.
लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA)…यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा.

प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स हैं, वो क्या करेंगे?
लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope – LIBS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी.

अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer – APXS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *