गाय और गौवंश की दयनीय है हालत, पर कुछ उम्मीद है बाक़ी

गाय और गौवंश की दयनीय है हालत, पर कुछ उम्मीद है बाक़ी

कभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने गाय को करुणा की देवी कहते हुए कहा था कि आप कितना भी क्रोध में हो गाय की आंखों में देखिए और आप पाएंगे कि आपका क्रोध धीरे धीरे स्वमेव ही नष्ट होता जा रहा है।परंतु आज आप ऐसा नही कह सकते,आज तो जीवित गौवंश को लोग चमड़े के लिए काट रहे है।कोई रोकने टोकने वाला नही है।नाम मात्र के संगठन है जो सच में कुछ करते दिखाई देते है वर्ना तो ज्यादातर गाय के नाम पर मोटी मलाई खाने का ही काम कर रहे है।
गाय को किसी जमाने मे माता का रूप माना जाता था और गौवंश को परिवार के सदस्य के रूप में देखा जाता था। गाय मां समान पूज्यनीय थी। घर में कुछ भी बने पहला निवाला गौ माता को अगरासन के रूप में जरूर निकाला जाता था l। परन्तु आज लोगो की उदासीनता, वैज्ञानिक कृषि यंत्रों की उपलब्धता, कृत्रिम दूध की उपलब्धता और गाय माता का राजनीतिकरण हो गया है जिसके कारण आज गायो की स्तिथि बद से बदतर होती जा रही है । आज गायो को हर जगह भटकते हुए हर जगह देखा जा सकता है । लोग हाथ मारकर या डंडे मारकर भगाते है। गौ वंश की हालत तो इससे भी बदतर है।

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धार्मिक शास्त्रों की मान्यता अनुसार गाय ना सिर्फ पवित्र प्राणियों के रूप में पूजनीय है, बल्कि उनका आर्थिक महत्व भी बहुत अधिक है। ये हमें दूध, मक्खन, घी, दही और पनीर प्रदान करती है। प्रागैतिहासिक काल से ही गौवंश का उपयोग खेतों की जुताई और माल के परिवहन के लिए भी किया जाता रहा है।
परंतु अब देश में गायों की दशा दयनीय हो रही है। जहा एक तरफ समाज में लोग गाय माता से मुंह मोड़ रहे है तो वही सरकारे भी गाय का राजनीतीकरण कर अपनी तिजोरियां भरने का काम कर रही है। कोई भी आज के परिवेश में कही नही दिखता जो गाय और गौवंश के लिए सत्य के धरातल में कुछ अच्छा करता दिखे जो कि बहुत दुख की बात है।

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कभी हम देखा करते थे कि गाय घास खाती है लेकिन आज के समय मे यह कहना सरासर गलत होगा
क्योँकि आज सभी लोगो को गाय प्लास्टिक, पन्नी ,कूड़ा कचड़ा और कभी कभी तो मानव शिष्ट तक खाते देखा जाता है।

गाय और गोवंश के दयनीय हालात के इस आलम में थोड़ी बहुत जो उम्मीद जगा रखी है वह जगा रखी है सच्चे गौ सेवको ने ,जिन्होंने सीमित संसाधन होने के बावजूद खुद के दम पर गाय माता और गौवंश की निःस्वार्थ सेवा का बीड़ा उठा रखा है। ऐसा ही एक युवक है आकाश मिश्रा जो कि त्यौंथर का निवासी है और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से आता है।बड़े ही सीमित संसाधन होने के बावजूद गाय और गौवंश की सेवा में तत्पर है। तस्वीरों वीडियो में खुद देखिये किस तरह गाय माता को मच्छरदानी में ढककर सेवा कर रहा है।किस तरह घायल गौवंश के चोट को चिकित्सक परामर्श लेकर उसका इलाज कर रहा है। दुख इस बात का है कि ऐसा करने वाले बहुत कम है, पर सुकून इस बात का है कि कुछ लोग ही सही गाय माता की सच्ची सेवा तो कर रहे है।

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आप तक यह खबर लाने का मकसद सिर्फ एक ही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हों और गौ गौवन्श की सेवा को आगे आएं और साथ ही साथ सरकार भी जाग जाएं और धर्म के ठेकेदार भी …..

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