आरोप: क्या नगर निगम रीवा में बना फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र? पढ़िए हैरान करने वाली खबर…
रीवा: नगर निगम में जो हो जाए कम ही है। आये दिन किसी न किसी विषय को लेकर सुर्खियों में बना रहता है। ताजा मामला है एक मृत्यु प्रमाण पत्र का जिसके बारे में परिजनों का सीधा आरोप है कि यह मृत्यु प्रमाण पत्र पूर्ण रूपेण फर्जी है। इतना ही नहीं हद तो तब हो जाती है जब यह कहा जाता है कि जिसके नाम से मृत्य प्रमाण पत्र बना है वह व्यक्ति कभी इस दुनिया में पैदा ही नहीं हुआ है। आपको बता दे बाद में इसी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर कुछ रजिस्ट्री वग़ैरह की गयी है। जिसकी जांच कलेक्टरेट में चल रही है। जब परिजनों को इसकी भनक लगी तो उनके पाँव तले जमीं ही खिसक गयी। आनन् फानन में परिजन ने नगर निगम रीवा में जांच के लिए आवेदन दिया, जिसकी जांच चल रही है। परन्तु परिजनों का आरोप है कि जांच की आंच इतनी धीमी है कि बीरबल की खिचड़ी भी शर्मा जाए।
आइये आपको विस्तार से बताते है इस सनसनीखेज मामले के बारे में विस्तार से….
दरअसल मामला रीवा के वार्ड क्र 15 गुलाबनगर का बताया जाता है, जहा के रहवासी विनीत मिश्रा, उषा मिश्रा एवं अन्य परिजनों का सीधा आरोप है कि किसी ने नगर निगम के कर्मचारियों से मिलीभगत करके साजिशन एक फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया है और बाद में उसके आधार पर लाखो की रजिस्ट्री कराई गयी है।आपको बता दें कि मृत्यु प्रमाण पात्र बृजकिशोर मिश्रा (उम्र 15 वर्ष) पिता सुरेश मिश्रा, माता उषा मिश्रा के नाम से बना है। उक्त डेथ सर्टिफिकेट 2013 में जारी किया गया है, जिसका पता परिजनों को काफी बाद में चला। जब पता चला तो हड़कंप मच गया।
हैरत की बात तो यह है कि आरोप है कि ब्रिज किशोर नाम का कोई संतान कभी सुरेश और उषा मिश्रा के पैदा ही नहीं हुआ और जो कभी पैदा नहीं हुआ वो मर कैसे सकता है और कैसे उसका मृत्यु प्रमाण पात्र बनाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि माता उषा मिश्रा का निगम को जांच बाबत दिए गए शपथ पत्र में कथन है कि उनके और उनके पति (जिनकी अब मृत्यु हो चुकी है) के केवल तीन ही संतान है, जिसमे दो पुत्री और एक पुत्र है, कुल मिलाकर परिवार में केवल पांच ही सदस्य हैं , यह छठा सदस्य यानी दूसरा पुत्र बृजकिशोर कहा कहा से आ गया , यह तो उनके समझ से परे है। उषा मिश्रा स्वयं निरक्षर है और अब पति भी नहीं है, किसी तरह से अपना और अपने बच्चो का गरीबी में जीवन यापन कर रही है। उन्हें तो याद नहीं आता कि उन्होंने या उनके पति ने कभी भी बृजकिशोर नामक पुत्र का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने हेतु कोई आवेदन निगम दिया हो। जब पुत्र ही नहीं तो कैसा जन्म या कैसा मृत्यु प्रमाण पत्र ! उन्होंने अपने होशो हवाश में तो कतई कभी भी ऐसा कोई आवेदन (मृत्यु प्रमाण पत्र ) कभी भी नहीं दिया। यह भी उनके शपथ पत्र में उल्लेखित है।
मृत्यु प्रमाण पत्र की जांच बाबत आवेदन विनीत मिश्रा जो कि उषा मिश्रा के देवर हैं उनके तरफ से निगम में दिया गया है, जिसमे उषा मिश्रा और अन्य परिजनों की भी सहमति है। यही कारण है कि उषा मिश्रा ने अपना शपथ पत्र उस आवेदन में दिया है।
Video news:रीवा:बना फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र परिजनों का आरोप है कि यह मृत्यु प्रमाण पत्र पूर्ण रूपेण फर्जी है
परिजनों के कथन :
जहा एक तरफ निगम जांच और उस आधार पर कार्यवाही का हवाला दे रहा है तो वही परिजन उक्त जांच और जिस तरह से निगम जांच कर रहा है उस कार्यशैली से असंतुष्ट है। उनका कहना है कि एक तो वैसे भी उन्हें बहुत बाद में पता चला कि 2013 में ऐसा कोई मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुआ है। तब तक काफी देर हो गयी थी और इधर निगम की जांच है जो ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही। आपको बता दे कि जांच बाबत आवेदन कई महीने पहले दिया गया है, लेकिन कछुआ चाल की मानिंद निगम शायद अभी अंजाम तक नहीं पंहुचा है या फिर पहुंचना नहीं चाह रहा है। परिजनों के तो यही आरोप है।
बहरहाल जांच में क्या कुछ निकल के सामने आता है यह तो वक्त के गर्भ में आरक्षित है, जो सही समय आने पर ही पता चलेगा परन्तु अगर लगे हुए आरोपों को देखा जाए तो मामला बेहद गंभीर है, संवेदनशील है। यह मामला आर्थिक हानि और राजस्व विभाग में गड़बड़ी करने से से तो जुड़ा ही है परन्तु सबसे बड़ी बात एक माँ की मातृत्व की, पुत्र वत्सल रूपी भावना से भी जुड़ा है, जिसकी उस संतान का मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया गया है जो कभी जन्मा ही नहीं (जैसा की माता के शपथ पत्र में उल्लेखित है) . . .
परिजन उम्मीद कर रहे है कि नई नगर निगम आयुक्त एवं नए महापौर आये है तो शायद जांच में कुछ तेजी आये क्युकी वो अपने अच्छी कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। बाकी नगर निगम की कार्यशैली से तो उनका विश्वास उठ चूका है।
हैरत की बात तो यह है कि अगर आरोप सही है तो यह कैसा गोरखधंधा नगर निगम रीवा में चल रहा है कि जो व्यक्ति इस पृथ्वी लोक पर अवतरित ही नहीं हुआ उसका भी निगम कर्मियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र बना डाला और तो और अब जांच के नाम पर कई महीनो से फ़ाइल कुर्सी दर कुर्सी, मेज दर मेज और इस अधिकारी से उस अधिकारी तक केवल दौड़ाई जा रही है जबकि नतीजा शुन्य/शिफर रहा है अब तक…