

संस्कारधानी के इंद्राणा में संगीतमय भागवत कथा का हो रहा भव्य आयोजन, पं. अंकित शास्त्री हैं मुख्य कथावाचक…


जबलपुर (म.प्र.)।विराट 24 न्यूज। उल्लेखनीय है कि जिले के मझौली थानांतर्गत ग्राम इंद्राणा में संगीतमय भागवत कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है।
आपको बता दें प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त भागवत कथा का शुभारंभ दस अप्रैल (10/04/2023) को कलश पूजन एवं ग्राम भ्रमण के साथ हुआ।ग्राम भ्रमण के दौरान बैंड बाजा एवम भजन की धूम रही एवम सैकड़ों की संख्या भागवत प्रेमी जन सम्मिलित हुए।


उक्त भागवत कथा का शुभारंभ श्री श्री 108 श्री अंकित कृष्ण शास्त्री भागवत आचार्य के मुखारबिंद से प्रारंभ हुआ। कथा पाठ के दौरान कथा पंडाल में मौजूद सैकड़ों लोगो को गुरु पगलानंद महराज के द्वारा गाए भजन को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।मीठी वाणी में संगीतमय भजन सुनकर मौजूद स्थानीय भक्तजन मंत्रमुग्ध हो गए।चारो ओर भक्तिमय माहौल बन गया। कथा पाठ के दौरान राधे राधे,राधा कृष्ण,नंदलाल की जय जैसे गगनभेदी उच्चारणों से पूरा कथा पंडाल गुंजायमान एवम भक्तिमय हो गया। भक्ति भाव में भावविभोर हुए लोगो के नेत्र प्रसन्नता से सजल हो उठे।भागवत कथा पाठ रूपी अमृतपान से लोग खुद को धन्य मान रहे है।


उल्लेखनीय है कि पगलानन्द महराज बहुत ही कम स्थानों पर अपने मुख से भजन का गान करते हैं, ऐसे में उनके मुख से भजन सुनकर पाठ पंडाल में मौजूद लोगो मंत्रमुग्ध हो गए एवम उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा।
गौरतलब है कि संस्कारधानी के ग्राम इंद्राणा में आयोजित इस भागवत कथा में रीवा से भी लोगो का हुजूम पहुंचा है, जिसमे मुख्य रूप से रीवा के समाजसेवी एवं विख्यात रक्त दाता आशीष पांडे
‘कंचू दादा’ अपनी पत्नी मुक्ता पांडे एवम बच्चों के साथ भागवत कथा का श्रवण करने पहुंचे हैं।
मिडिया से रूबरू हो आशीष ने बताया कि वो और उनका पूरा परिवार भागवत कथा प्रेमी है,जब भी कथा श्रवण का अवसर मिलता है,वो जरूर श्रवण करते हैं एवम इस बार तो आचार्य अंकित शास्त्री द्वारा कथा श्रवण कर और मुख्य घटनाओं का कलाकारों द्वारा मंचन देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मथुरा,द्वारका सब यहीं है, श्री कृष्ण
राधा-रुकमणि,बलदाऊ भैया इत्यादि सभी अपने भक्तो को दर्शन देकर कृतार्थ कर रहे हैं।


भागवत पुराण:
भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। परंपरागत तौर पर इस पुराण के रचयिता वेद व्यास को माना जाता है। इसकी मुख्य भाषा संस्कृत है। पुराण में कुल 18,000 श्लोक हैं। यह पुराण प्रमुख वैष्णव ग्रन्थ माना जाता है।

श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है।
by Er. Umesh Shukla @ ‘VIRAT24’ news