शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल कौन थे ? आइये जानते है
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल (Pandit Ram Prasad Bismil) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने विचारों, कविताओं और क्रांतिकारी कार्यों के माध्यम से राष्ट्रीय जागृति को बढ़ावा दिया। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म ब्राह्मण परिवार उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर शहर के खिरनीबाग मुहल्ले में जन्मे रामप्रसाद अपने पंडित पिता मुरलीधर और माता मूलमती की दूसरी सन्तान थे।
संघर्षपूर्ण बचपन :
राम प्रसाद बिस्मिल का बचपन संघर्षमय रहा। वे गरीब परिवार में पैदा हुए थे और उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। उन्होंने शिक्षा की प्राप्ति के लिए भी कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनकी ललकारें स्वतंत्रता के प्रति थीं।
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने हिंदी कविता के माध्यम से अपने देशभक्ति और समाज सेवा के विचारों को व्यक्त किया। उन्होंने ‘मैं नहीं मानता’ और ‘सरफरोशी की तमन्ना’ जैसी कविताएँ लिखी, जो आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने युवा मानसिकता को जगाने के लिए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेना की स्थापना की। वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे और इसके आप्रवासी सदस्य भी रहे। उन्होंने क्रांतिकारी कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई और नाना साहेब पाटिल, आशफाक़ उल्ला खान, राजेन्द्र लहिरी, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर क्रांतिकारी गतिविधियों का नेतृत्व किया।
सरफ़रोशी की तमन्ना :
1925 में, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को कांस्टेबल परीक्षा में शामिल होने के लिए लखनऊ जाना पड़ा। इसका उपयोग करके उन्होंने लखनऊ में एक बम हमला करने की योजना बनाई थी । यह योजना गिरफ्तारी से पहले उग्रवादी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्यों ने किया था। बाद में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई और उन्होंने अपनी जान को त्याग दिया। उनकी शहादत का स्मरण संगीतमय संगीत “सरफ़रोशी की तमन्ना” द्वारा जीवंत रहा है।
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके योगदान को मान्यता दी जाती है। उनकी साहसिकता, दृढ़ता, और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में उनकी प्रशंसा की जाती है। उनकी कविताओं, क्रांतिकारी कार्यों, और व्यक्तित्व की कथा देशभक्त युवाओं को प्रेरित करती है।