महाभारत के कृष्ण ने ओपेनहाइमर फिल्म के सेक्स सीन पर भगवद गीता विवाद पर किया निर्देशक का समर्थन!

महाभारत के कृष्ण ने ‘ओपेनहाइमर’ फिल्म के सेक्स सीन पर भगवद गीता विवाद पर क्यों किया निर्देशक का समर्थन ?

स्टोफर नोलान डायरेक्टेड फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ रिलीज के बाद से ही अलग-अलग कारणों के चलते सुर्खियों में है। दरअसल फिल्म में एक सीन है जहां ओपेनहाइमर का रोल प्ले कर रहे सिलियन मर्फी अपनी गर्लफ्रेंड जीन टैटलोक के साथ सेक्स करने के दौरान भगवद गीता की एक लाइन कहते हैं।

इस सीन पर खूब कॉन्ट्रोवर्सी हो रही है और अब महाभारत सीरियल में श्रीकृष्ण का किरदार निभा चुके एक्टर नीतीश भारद्वाज ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दी है।

कृष्ण के श्लोक को ठीक से समझा जाना चाहिए

एक रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश भारद्वाज ने TOI के साथ बातचीत में कहा, “युद्ध क्षेत्र के बीच में गीता आपको आपकी कर्म के महत्व का अहसास कराती है। लाक्षणिक तौर पर देखा जाए तो हम सभी अपने जीवन में संघर्ष कर रहे हैं, खासतौर पर भावनात्मक रूप से, तो भावनाएं हमारा युद्धक्षेत्र हैं। श्लोक नंबर 11.32 अर्जुन से इसलिए कहा गया था ताकि वह एक योद्धा के तौर पर युद्धक्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों को समझें, क्योंकि बुराई से लड़ना उसका काम है। कृष्ण के पूरे श्लोक को ठीक से समझा जाना चाहिए।”

इंटरव्यू में ओपेनहाइमर की आंखों में आंसू थे

नीतीश भारद्वाज ने बताया, “वह कहते हैं कि मैं ही अनंत समय हूं जो सब खत्म कर देगा। तो हर कोई वैसे भी मर जाएगा अगर तुम उसे नहीं मारोगे। इसलिए तुम अपना कर्म करो।” नीतीश ने कहा कि जब ओपेनहाइमर ने एटम बॉम्ब बनाया और इसे जापान की ज्यादातर आबादी को खत्म कर देने के लिए इस्तेमाल किया गया तो उसने खुद अपने आप से यह सवाल किया कि क्या उसने अपना कर्म ठीक से किया है? उसके फेमस इंटरव्यू के दौरान उसकी आंखो में आंसू दिखे थे, जिसका मतलब है कि उसे शायद अपने कर्म का प्रायश्चित था।

उसका दिमाग 24 घंटे अपनी खोज से भरा था

नीतीश भारद्वाज ने कहा, “शायद उसे यह दिख गया था कि उसकी खोज भविष्य में इंसानियत को खत्म कर देगी और उसे इस बात का अफसोस था। फिल्म में इस श्लोक का इस्तेमाल ओपेनहाइमर की मेंटल स्टेट को भी दिखाता है, कि एक वैज्ञानिक 24 घंटे सातों दिन और 365 दिन सिर्फ अपनी खोज के बारे में ही सोचता है। बावजूद इसके कि वह क्या कर रहा है। उसका दिमाग पूरी तरह से उसकी खोज को लेकर भरा हुआ है, और वह भौतिक रूप से क्या कर रहा है वह बस एक मशीनी गतिविधि बन चुकी है।”

तब क्या रहा होगा ओपेनहाइमर का दृष्टिकोण

नीतीश भारद्वाज ने फिल्म के इस सीन का महत्व समझाते हुए कहा, “मैं लोगों से अपील करूंगा कि ओपेनहाइमर की जिंदगी के महत्वपूर्ण पलों के इस भावनात्मक दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें। बात यह है कि उसने साबित कर दिया कि आज हम जितनी भी इंसानियत का खात्मा करने वाली एक्सप्लोसिव किलिंग टेक्नोलॉजी देखते हैं, वो इंसान के सीमाओं और कॉमर्शियली सबसे बड़ा बनने के लालच के चलते हैं, बजाय यह अहसास किए कि इस प्लैनेट और अपने देश के प्रति एक इंसान के तौर पर आपकी व्यापक जिम्मेदारियां क्या हैं।”

हालात बिलकुल वैसे हैं जैसे तब कुरुक्षेत्र में थे

उन्होंने कहा कि आज हालात बिलकुल वैसे हैं जैसे तब कुरुक्षेत्र में थे। यही वजह थी कि ब्राह्मणों और क्षत्रियों ने जान बूझकर युद्ध के वेद – धनुर्वेद की रचना और उसका विस्तार नहीं किया। यूनाइटेड नेशन्स को न्यूक्लियर डिसआर्ममेंट लागू करना चाहिए। नोलान का मैसेज बहुत साफ है। बता दें कि फिल्म भारतीय बॉक्स ऑफिस पर हॉलीवुड फिल्म ‘बार्बी’ के साथ रिलीज हुई थी, लेकिन इसके एक सीन के चलते पहले ही दिन से यह विवादों का विषय बन गई।

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