मप्र लोगो को गरीबी से बाहर लाने में देश में दूसरे नंबर पर

मप्र लोगो को गरीबी से बाहर लाने में देश में दूसरे नंबर पर

भोपाल: प्रदेशवासियों के लिए एक अच्छी खबर आयी है। गौरतलब है कि लोगों को गरीबी से बाहर लाने में मप्र देश में दूसरे नंबर पर है। आम जनता की मुलभुत आवश्यकता है रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई, दवाई, स्वास्थ्य और रोजगार। इन मुलभुत अवाश्य्कताओ का जनता के पास न होना ही गरीबी है। जीवन सुखी हो इसका सीधा संबंध गरीबी-अमीरी की अवधारणा से है। 2022 -23 की रिपोर्ट के अनुसार विकास के समग्र प्रयासों से मध्य प्रदेश में 15.93 प्रतिशत की दर से कुल 1.36 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। यह बात मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर भोपाल में नीति आयोग के प्रतिवेदन पर प्रबुद्धजन के साथ परिचर्चा सत्र को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में गरीबी कम हुई, यह गर्व का विषय है। एक समय था, जब मध्य प्रदेश में न बिजली थी, न पर्याप्त सड़कें, न पानी की व्यवस्था। सरकार में आने पर प्रगति के लिए बिजली, सड़क, पानी, सिंचाई आदि पर काम किया। 2003-04 में 23 हजार करोड़ रुपये का बजट होता था, जिसे 2023-24 में तीन लाख 14 हजार करोड़ रुपये तक ले गए। कभी प्रदेश की जीएसडीपी 71000 करोड़ थी, अब 15 लाख करोड़ है।

प्रतिमाह मिलने वाले लाड़ली बहना योजना के एक हजार रुपये से गावों में आर्थिक क्रांति आ रही है। महिलाओं के पास पैसे आने से गांव की दुकानों में बिक्री बढ़ रही है, इससे कारखानों की मांग बढ़ी है, पूरी आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। महिलाओं को नौकरी में आरक्षण, विशेष पोषण आहार भत्ता देने का काम किया।

पूंजीगत व्यय और निवेश बढ़ाया, जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ीं। आय वृद्धि ही गरीबी कम होने का आधार नहीं, बल्कि अधोसंरचना की मजबूती के साथ नागरिकों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने, पर्यावरण के संतुलन, वन्य-प्राणियों के संरक्षण जैसे कार्यों से संपूर्ण समृद्धि संभव होती है। देश को मजबूत अर्थ-व्यवस्था प्रदान करने में मध्य प्रदेश का रोडमैप बनाकर तेजी से काम करेंगे।
पीएम एडवाइजरी काउंसिल की सदस्य प्रोफेसर शमिका रवि ने कहा कि आय वृद्धि के पारंपरिक आधार से हटकर स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मापदंडों के कारण गरीबी उन्मूलन का वास्तविक आकलन संभव होता है। प्रदेश में पेयजल, सिंचाई, विद्युत आपूर्ति, कृषि क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ाने और अधोसंरचना के विस्तार से अच्छे परिणाम आए हैं।

नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार डा. योगेश सूरी ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत लगभग 19 प्रतिशत कम हुआ है। वहीं, आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने कहा कि प्रदेश ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया है। यूएन रेसीडेंट को-आर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने मध्य प्रदेश में कृषि क्षेत्र में हुए विकास को सराहनीय बताया। कार्यक्रम में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, मुख्यमंत्री के सचिव विवेक पोरवाल सहित वरिष्ठ अधिकारी, अर्थशास्त्री और शोध विद्यार्थी भी उपस्थित थे।

मप्र में हो रही मौन क्रांति :
राज्य नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कुछ माह पूर्व कहा था कि मध्य प्रदेश अजब-गजब और सजग है। मध्य प्रदेश में मौन क्रांति हो रही है। मध्य प्रदेश सांख्यिकी आयोग बनाने वाला प्रथम राज्य है। आयोग के अध्ययन के लिए प्रदेश में उद्योग और व्यवसाय से जुड़े दो नगरों इंदौर, भोपाल और वन क्षेत्र वाले जिलों मंडला और सीहोर का चयन किया है। सितंबर तक प्रतिवेदन तैयार हो जाएंगे। इसके बाद सभी जिलों की जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) बनेगी, जिसमें जिलों का प्रदर्शन दिखेगा।

अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में गरीबी की दर में आई कमी :
2015-16 में आलीराजपुर में गरीबों की संख्या 71.31 प्रतिशत थी, जबकि, 2019-21 में घटकर 40.25 रह गई (31.5 प्रतिशत सुधार)।
बड़वानी में 61.60 प्रतिशत से कम होकर 33.52 प्रतिशत रह गई (28.08 प्रतिशत सुधार)।
खंडवा में गरीबी का प्रतिशत 42.53 से घटकर 15.15 प्रतिशत हुआ (27.38 प्रतिशत सुधार)।
बालाघाट में 26.48 प्रतिशत और टीकमगढ़ में 26.33 प्रतिशत सुधार हुआ है।
सतत विकास के लक्ष्यों में 2030 तक गरीबी को कम से कम आधा करना शामिल है।

ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में गरीबी में कमी :
मध्य प्रदेश की ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की आबादी में 20.58 प्रतिशत की गिरावट आई है। एनएफएचएस-4 (2015-16) में यह 45.9 प्रतिशत थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21) में कम होकर 25.32 प्रतिशत तक आ गई है। गरीबी की तीव्रता भी 3.75 प्रतिशत (47.57 प्रतिशत से 43.82 प्रतिशत) तक कम हो गई है और गरीबी सूचकांक 0.218 से घटकर 0.111 लगभग आधा हो गया है।
शहरी गरीब आबादी में 6.62 प्रतिशत की गिरावट आई है। एनएफएचएस- 4 (2015-16) में यह 13.72 प्रतिशत थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21) में कम होकर 7.1 प्रतिशत तक आ गई है। शहरी गरीबी की तीव्रता भी 2.11 प्रतिशत (44.62 प्रतिशत से 42.51 प्रतिशत) तक कम हो गई है।

कांग्रेस के गरीबी हटाओ के नारे खोखले हुए साबित :
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के गरीबी हटाओ के नारे खोखले साबित हुए हैं। कांग्रेस की सरकारों के दौरान देश में गरीबी बढने का मुख्य कारण भ्रष्टाचार था। कांग्रेस के ही प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि हम दिल्ली से एक रुपये भेजते हैं, तो गांव तक केवल 15 पैसे पहुंचते हैं।
इसके बाद भी कांग्रेस के नेता कहते थे कि देश में गरीबी इसलिए बढ़ रही है क्योंकि गरीब दोनों समय भोजन करने लगे हैं। कांग्रेस की सरकारों के नारे कितने खोखले थे, यह इन तथ्यों से पता चल जाता है कि इंदिरा गांधी के समय 1974 में महंगाई की दर 28 प्रतिशत थी। 2013 में यह 11 प्रतिशत पर आ गई।
जबकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जो कदम उठाए, उससे यह 8.1 प्रतिशत पर आ गई है। शिवराज सरकार द्वारा गरीब कल्याण के लिए शुरू की गई योजनाओं को देखकर खुशी होती है कि आज हर घर में खुशहाली है। लोग आत्मनिर्भर बन रहे हैं।

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