मप्र: आलाकमान बाँट रहे रेवड़ी, चुनाव जो हैं नजदीक…

मप्र: आलाकमान बाँट रहे रेवड़ी, चुनाव जो हैं नजदीक

गौरतलब है कि चुनावी वर्ष है। बल्कि यूँ कहें कि समर आ गया है मुहाने पर, खिंच गयी है जुबान रूपी तलवारें; सौगातों, योजनाओ की ढाल रूपी लबादे जमकर ओढ़ रहे हैं आलाकमान और उनके कारिंदे, तो वही विपक्ष भी कम नहीं है, सत्ता में भले ही न हो पर सत्ता में आने कि लालसा इतनी है कि पहले ही सरकार की हर योजना की काट का एलान कर दे रहें है और करें भी क्यों न आखिर सत्ता होती ही है ऐसी मृगतृष्णा।

चुनाव आने वाले है, अब सरकार खूब योजनाएं ला रही है, विकास के भरपूर वादे कर रही है। जमकर नाटक नौटंकी हो रही है सत्ता और विपक्ष दोनों तरफ से। और जनता को इस वादें और रेवड़ी खिलाने के उपक्रम में कुकुरमुत्ते और पुछल्ले भी पीछे नहीं है। वो भी ताल से ताल थोक रहे है कुछ गदर के अभिनेता सनी देओल के स्टाइल में।

चार साल तो नाम ना लिया पर चुनाव की पहली ही सभा मे जय श्रीराम के नारे ये लगायेंगे। धर्म खतरें में आपसे कहलवाएगे और गर गए फिर जीत तो सनद रहे कि आप से ही आप की भद पिटवाएगे।
क्यू की चुनाव आने वाले है..अरे चुनावी वर्ष जो है!

अभी ये और भडकायेंगे सामप्रदयिकता की आग कॊ..
बस इतने से ही सरकार हो सकता है ना बने , अभी और भडकायेंगे ये मज़हबी जज्बात कॊ ।

इन्हे क्या फर्क पड़ता है की हिन्दू मरे या मरे मुसलमान,
या जल जाये साम्प्रदायिकता की आग मे पूरा हिंदुस्तान ।

इन्हे क्या इन्हे तो हर हाल मे सरकार फ़िर बनाना है,
जो मज़हबी जज्बात दब गये थे या दफन हो गये थे, उनकॊ फ़िर सुलगाना है..
इंसान और इंसानियत जाये भाड़ मे..
लाशों की सीढ़ियों पर चढ़कर ही सही इन्हे तो सरकार बनाना है।

बेरोज़गारी ,बेकारी , गरीबी भुखमरी दूर होगी ऐसे ऐसे जुमले होंगे..
नेता जी के भाषण जुमलों से भरपूर लम्बे चौड़े होंगे..

पर हम सबकी जिम्मेदारी है समझना और समझाना होगा आपको..
की सिर्फ जुमलेबाजी पर तो वोट ना दे हम अपने बाप कॊ।।

बड़े बड़े चुनाव होने जा रहे है! राम मन्दिर/राफेल डील/जीजा जी/भारत पाक सम्बन्ध/युद्ध की अटकलें/राष्ट्रवाद/धार्मिक खतरा/रोहिंग्या बांग्लादेशी हिन्दू शरणार्थी आदि आदि तू तू मै मै खूब चलेगी।

मीडिया भी इसमें खूब बढ़ चढ़कर हिस्सा लेगी और तरह तरह के उन्मादी सवाल दागेगी नेताओ पर! तैयार रहिये सभी लोग! अपना मानसिक संतुलन बनाये रखियेगा! नेता जी लोगो के हुंकार भरे भाषणों से अपना रक्त चाप न बढ़ा लीजियेगा। क्युकी ये महज चुनावी मौसम का खास जायका है जनाब और कुछ भी नहीं।
चलिए बताये आपको उदाहरण सहित…आपको याद होगा कि 2017 में गुजरात चुनाव के पहले मणिशंकर अय्यर पर देशद्रोही का आरोप लगा था की उनके घर में पर्व पीएम मनमोहन के सानिध्य में पाक राजनयिकों की एक बैठक हुई थी। कहा गया था जनता के बीच की मणिशंकर अय्यर गद्दार है। हम जनता ने भी देशभक्त होने का सबूत देते हुए खूब तिलमिलाए थे, की जांच हो और जांच की आंच अगर सही है तो अय्यर को जेल में डालो वो भी बिना बेल के।

खैर चुनाव हुआ, सब जानते है कौन जीता कौन हारा। अच्छा उसके बाद उस “अय्यर @ गद्दार मुद्दे” में क्या हुआ। किसी मीडिया ने बताया भी नहीं और हम राष्ट्रवादी लोग भी भूल गए क्युकी मीडिया ने दिखाया भी नहीं। याद दिलाया भी नही न जी।

चलिए हम बता देते है। चुनावी नतीजो के बाद राज्य सभा में बाकायदा सरकार की तरफ से स्व. जेटली ने कहा था कि सरकार का मानना है की उस मीटिंग में कुछ भी गलत नही हुआ था और अय्यर से ले के सभी नेता जो उस दिन अय्यर के घर पर थे वो सभी देश के सम्मानित नेता है और देशभक्त है और भी बहुत कुछ बोला गया, बस इतना ही हुआ था और कुछ भी नहीं।

यानी की चुनावी समय में ये हुक्मरान बनने के शौक़ीन सब ताम झाम महज वोट के लिए करते है। बाकी बातों से इनका कोई सरोकार नहीं होता है। हद है यार और हम आप सभी लोग देशभक्ति में लाल पीले हो रहे थे और हमेशा इनके छलावे में आ ही जाते है।

खैर एक ही बात अहम है और वो ये है कि मीडिया और सत्ता पिपासु नेताओ के बहकावे और भाषणों में न आएं, अपना साफ़ सुथरा दिमाग न उलझाये और अगर हो सके तो महगाई/बेरोजगारी/विकास आदि मुद्दों पर वोट करिए। बाकी सारे मुद्दे चुनावी लॉलीपॉप समान है। नेताओ द्वारा कूट रचित और बनावटी है।

अंत में सिर्फ इतना की वोट यानी मतदान आपका अपना अधिकार है और इसे करने से पहले तोलें, मोलें और टटोलें और फिर करे मतदान क्युकी प्रजातंत्र में यही है आपके पास एक मात्र वरदान।

आगे आपके और भी बतायेगे, कुछ कर दिखाएंगे। क्युकी चुनावी वर्ष जो है…

by Er. Umesh Shukla @ ‘Virat 24’ news

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