भारत है दुनिया में सबसे ज्यादा बड़ी बिल्लियों वाला देश,दुनिया की 75% आबादी हमारे यहाँ

भारत बना दुनिया में सबसे ज्यादा बड़ी बिल्लियों वाला देश, दुनिया की 75% आबादी हमारे यहाँ

  • दुनिया में सबसे ज्यादा बाघ हैं भारत में
  • बाघों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है
  • सबसे ज्यादा बाघ हैं इस राज्य में

दुनिया की 75 प्रतिशत बाघ आबादी के साथ, भारत के 18 राज्यों में 53 बाघ अभयारण्य हैं, जो 75,796.83 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हैं और यहां दुनिया की 75% बाघ आबादी रहती है। बाघों की तीन-चौथाई से अधिक आबादी संरक्षित क्षेत्रों में पाई जाती है।

भारत का राष्ट्रिय पशु है बाघ। एक समय था जब इनकी संख्या घट रही थी। भारत एवं राज्य सरकारों ने बाघों के प्रजनन, वृद्धि, लोगो में जागरूकता एवं सरंक्षण के लिए तरह तरह की योजनाए शुरू की, प्रयास किये जिसका परिणाम यह रहा कि भारत में साल 2018 और 2022 के बीच बाघों की आबादी में 23.5 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है।

जंगल में अब बाघों यानी बड़ी बिल्लियों की प्रजाति की संख्या 3,682 हो गई है। यह बाघों का 75% हिस्सा है और शुरू में अनुमानित 3,167 से अधिक है।


आपको बता दें कि अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3,167 बाघों का अंतरिम अनुमान जारी किया था। साल 2006 में अपने देश में बाघों की संख्या 1,411 थी, जोकि साल 2018 में बढ़कर 2,197 हो गई I

इस राज्य में सबसे अधिक :
इस वृद्धि के पीछे विशेषज्ञों का कहना है कि यह देश के 20 साल पुराने विज्ञान आधारित बाघ संरक्षण कार्यक्रम की सफलता को दर्शाती है। लगभग 80% बाघ (2,885) अब 18 राज्यों में से आठ में रहते हैं, जिनमें मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और असम शामिल हैं। मध्य प्रदेश में बाघों की सबसे अधिक संख्या 785 है, इसके बाद नंबर आता है कर्नाटक का, जहां 563 बाघ हैं और महाराष्ट्र में 444 हैं।

घट रहा जंगलो का सीमा क्षेत्र :
राज्य-वार अनुमान के अनुसार, मध्य भारतीय और पश्चिमी घाट परिदृश्य ने कुल संख्या में 2,526 बाघों का योगदान दिया है, जिससे वे दुनिया में सबसे घने बाघ क्षेत्र बन गए हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में चिंताजनक रुझान भी देखा गया है। मिजोरम, नागालैंड, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में बाघों की आबादी कम होने की सूचना भी मिली है। कुछ बाघ अभयारण्यों सहित कई क्षेत्रों में स्थानीय बाघों की आबादी विलुप्त हो गई है। अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ रहा है, क्योंकि वन क्षेत्र में कमी आने की वजह से जंगली जानवरों के आवास भी सिकुड़ रहे हैं।

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