चीन ने अक्साई चिन में की ये हिमाकत, जानिये भारत के लिए कितना खतरा

चीन ने अक्साई चिन में की ये हिमाकत, जानिये भारत के लिए कितना खतरा

गौरतलब है कि चीन अपनी चालबाजियों, कारगुजारियों से बाज नहीं आता। कभी अनर्गल ब्यानबाजी, तो कभी पाक के जरिये, तो कभी सेना के बेजा मूवमेंट के द्वारा, कभी विवादित नक्शा जारी करके, कुल मिलाकर चीन कुछ न कुछ ऐसा करता ही रहता है जिससे कि भारत को मुसीबते कड़ी हों। वो अलग बात है कि चीन की चालबाजियों से अब भारत ने खूब अच्छे से खेलना और जवाब देना दोनों सीख लिया है।

इस बार फिर चीन ने कुछ ऐसा किया है जिसके भारत के लिए खासे मायने है। दरअसल अक्साई चिन में चीन ने निर्माण कर डाले हैं और कार्य जारी है।

आपको बता दें कि अक्साई चिन में चीन तेजी से निर्माण कार्य कर रहा है जिसका खुलासा सेटेलाइट तस्वीरों से हुआ है। चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगभग 70 किमी दूर अक्साई चिन में बंकरों और अंडरग्राउंड फैसिलिटी का निर्माण तेज कर दिया है।
भारत का पड़ोसी देश ने अपनी सैन्य संपत्तियों को हवाई या मिसाइल हमलों से बचाने के लिए यह कदम उठाया है। 18 अगस्त की सेटेलाइट इमेजरी अक्साई चिन में विकसित होती चीनी स्थिति को दर्शाती है, जिसमें अंडरग्राउंड फैसिलिटी का तेजी से डेवलपमेंट भी शामिल है।

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मैक्सर टेक्नोलॉजी की ओर से हिंदुस्तान टाइम्स को दी गई 6 दिसंबर, 2021 और 18 अगस्त, 2023 की सेटेलाइट तस्वीरों की तुलना की गई। इससे पता चलता है कि तीन जगहों पर बंकरों और तीन अन्य स्थानों पर सुरंग बनाने की गतिविधि जारी है। ये सभी 6 जगहें करीब 15 वर्ग किमी के दायरे में हैं। मई, 2020 के बाद से LAC पर सैन्य गतिरोध बढ़ा हुआ है। इस बीच ली गईं सेटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने सैनिकों की तेजी से तैनाती के लिए कई सारे कदम उठाए हैं। इसमें हवाई क्षेत्रों, हेलीपैड, रेलवे फैसिलिटी, मिसाइल बेस, सड़कों और पुलों का बड़े पैमाने पर विस्तार शामिल है।

अंडरग्राउंड फैसिलिटी और मजबूत बंकरों का निर्माण :
विश्लेषकों का मानना है कि अंडरग्राउंड फैसिलिटी और मजबूत बंकरों का निर्माण एक नई तरह की घटना है। खासतौर से जब यह LAC से बहुत दूर स्थित क्षेत्र में हो रहा है। इस निर्माण कार्य का मकसद संभावित हवाई या मिसाइल हमलों से प्रमुख संपत्तियों की रक्षा करना है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने इन नई तस्वीरों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। मालूम हो कि पिछले हफ्ते जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर अनौपचारिक बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन से रिश्ते पर बयान दिया था। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और एलएसी का सम्मान करना द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिए जरूरी है।

सेटेलाइट तस्वीरों से मिलीं नई जानकारियां :
18 अगस्त की सेटेलाइट तस्वीरों में साफ तौर पर अक्साई चिन में विकसित होती चीनी स्थिति को देखा जा सकता है जिसमें अंडरग्राउंड फैसिलिटी का डेवलेपमेंट भी शामिल है। सेटेलाइट इमेजरी का हवाला देते हुए एचटी ने मई में रिपोर्ट दी थी कि चीन ने नए रनवे, जेट की सुरक्षा के लिए शेल्टर और सैन्य ऑपरेशन भवनों का निर्माण करके LAC के पास एयरबेस का विस्तार किया है। बीजिंग ने अपनी सेना के लिए व्यापक अभियान चलाने और कुछ क्षेत्रों में भारत के एडवांटेज का मुकाबला करने की क्षमता हासिल की है।

निर्माण-कार्य के पीछे ड्रैगन का क्या मकसद :
फोर्स एनालिसिस के जियो-इंटेलिजेंस विश्लेषक सिम टैक ने कहा, ‘इन गतिविधियों से सवाल उठता है कि अंडरग्राउंड फैसिलिटी किसके लिए है? ये सैनिकों या फिर टैंकों के लिए नहीं है। वे एयर डिफेंस या मिसाइल सिस्टम जैसी हाई एसेट्स के लिए हो सकते हैं, जिन्हें उच्च स्तर की सुरक्षा की जरूरत होती है।’ एयर वाइस मार्शल (रिटायर्ड) मनमोहन बहादुर ने लद्दाख क्षेत्र में लंबे समय तक सर्विस की है। उन्होंने सहमति जताई कि अंडरग्राउंड फैसिलिटी सैनिकों के लिए नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘सुरंगें पूरी तरह से संवेदनशील उपकरणों के लिए हैं। ऐसा मालूम होता है कि ये विस्फोटकों, मिसाइलों या हथियारों के लिए हैं जिन्हें हवाई हथियार से नष्ट करने का खतरा रहता है। हालांकि, इनका इस्तेमाल कमांड पोस्टों के लिए भी किया जा सकता है।’

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