पोल खोल खबर>क्या मप्र के आला अधिकारी कार्य के प्रति नहीं गंभीर? कैसे कर दी इतनी बड़ी गलती, पढ़िए इस खोजी खबर में

क्या मप्र के कुछ आला अधिकारी सोते हुए कार्य करते है या फिर कार्य के प्रति गंभीर नहीं रहते, क्युकी इस बार एक नहीं बल्कि तीन तीन आला अधिकारीयों ने ऐसी गंभीर और बड़ी गलती की है जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता और अगर गलती पकड़ में नहीं आती तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते थे। इस वाकये से यह भी स्पष्ट है मप्र के अधिकारी कार्य के प्रति कितने गंभीर रहते है।
आपको बता दें एमपी के तीन टॉप अफसर फाइल में एक गलती को नहीं पकड़ सके! अब सवाल यह उठता है कि ये उनकी अक्षमता का नतीजा है या लापरवाही का ???? वजह जो भी हो अगर आला अधिकारी ऐसी गलतिया करेंगे तो छोटे अधिकारी और कर्मचारियों से क्या उम्मीद कजी जा सकेगी!
इस घटना से यह भी पता चलता है कि जीएडी(general administration department) कितना गंभीर, एक फाइल ने खोली पोल…
मप्र के तीन आला अधिकारी फाइल में एक गलती को नहीं पकड़ सके, शायद सभी ने आँख बंद कर के अनुमोदन कर दिया। दरअसल मामला कुछ यूँ है कि 2008 बैच के अफसर को 2006 का बता कर प्रभार दे दिया गया।
मध्य प्रदेश के मंत्रालय में किस तरह की गंभीरता से काम होता है और आदेशों जारी करने को लेकर कितना संयम बरता जाता है। इसका उदाहरण एक हाल ही में जारी आदेश से पता चलता है। गौरतलब है कि यह आदेश मुरैना के कलेक्टर के छुट्टी पर जाने और उनका प्रभार दूसरे अफसर को देने को लेकर जारी किया गया था। आदेश जीएडी के बाबू से लेकर पीएस तक उसी गलती के साथ बढ़ता रहा। हद तो तब हो गयी जब सीएस के दफ्तर से भी आदेश मूल गलती के साथ ही जारी कर दिया गया। अचम्भे में मत पढ़िए यह बात सौ फीसदी सत्य है।

जारी आदेश था प्रभार सौपने का:
मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना के 8 दिन छुट्टी पर जाने पर जूनियर एडिशनल कलेक्टर इच्छित गढ़पाले को कलेक्टर का प्रभार सौंपा गया। आपको बता दें कि इच्छित 2008 बैच के अफसर हैं। लेकिन, जारी आदेश में उन्हें 2006 बैच का अफसर बताकर प्रभार दे दिया गया। जबकि 2008 बैच में उनसे सीनियर नरोत्तम भार्गव को दरकिनार कर दिया गया।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार जीएडी के अफसरों ने कलेक्टर की छुट्टी की फाइल और उनका प्रभार लेने वाले अफसरों के नाम भेजे थे। उसमें इच्छित का बैच 2008 की जगह 2006 लिखा गया। इसके चलते चीफ सेक्रेटरी ने सीनियारिटी के आधर पर इच्छित को 7 दिन का प्रभारी कलेक्टर बनाने के आदेश जारी कर दिए।
फाइल की यात्रा/सफर:
जीएडी के बाबू द्वारा तैयार अफसरों के नाम की फाइल डिप्टी सेक्रेटरी, सेक्रेटरी और विभाग की पीएस दीप्ती गौड़ मुखर्जी के पास पहुंची। तीनों अधिकारियों ने इस फाइल को गलती के साथ ही आगे बढ़ा दिया। इसके बाद यह फाइल अपने फाइनल डेस्टिनेशन चीफ सेक्रेटरी के दफ्तर पहुंची। यहां भी उसे बिना जांचे ही उसका अनुमोदन हो गया।
यानी कहा जा सकता है कि जीएडी के बाबू की गलती चीफ सेक्रेटरी तक कोई नहीं पकड़ सका। तो इसका क्या मतलब हुआ, यही कि “क्या मप्र के आला अधिकारी अपने काम के प्रति गंभीर नहीं, उनके हाथ में जो भी फाइल उनके अधीनस्थ दे जाते है वो उन पर आँख बंद कर भरोषा करते है और चिड़िया बैठा देते है ??? लगता तो कुछ ऐसा ही है !!!…