
ये मंदिर करता है मानसून की भविष्यवाणी, गुंबद देते हैं बारिश का संकेत !
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं. कोई मंदिर अपनी विशाल प्रतिमाओं के लिए जाना जाता है तो कोई अपने चमत्कारों को लेकर प्रख्यात है. भारत में कई ऐसे धार्मिक स्थल और मंदिर हैं जो काफी रहस्यमयी और अद्भुत हैं.
इनके दर्शन मात्र को लोग सिर्फ देश के कोने कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर से रूबरू कराएंगे, जिसके चमत्कारों को देखने लोग दूर दूर से आते हैं.
हम बात कर रहे हैं एक ऐसे मंदिर की जो बरसात से पहले मानसून के आने का संकेत देता है. जी हां चौक गए न आप, लेकिन ये बात एक दम सच है. ये मंदिर बताता है कि इस साल मानसून कब आएगा. 5 हजार साल पुराना भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर कानपुर के बेहटा गांव में स्थापित है.
बारिश आने से पहले छत से टपकने लगता है पानी
गांव के लोग बताते हैं कि हर साल वो बारिश आने से करीब दो सप्ताह पहले मंदिर की छत टपकने लगती है, जिससे हम मानसून का अंदाजा लगा लेते हैं. इतना ही नहीं टपके हुए पानी के जमीन पर इकट्ठा होने की मात्रा को देख वो अंदाजा लगा लेते हैं कि इस बार ज्यादा बारिश होगी या कम और फिर वो उसी अनुसार खेतों की जुताई और खाद-बीज का प्रबंध करते हैं.
बूंदों के आकार से लगाता है बारिश का अनुमान
मंदिर के पुजारी की मानें तो मानसून आने से पहले बूंदे गिरने लगती हैं और मंदिर के गुंबद पर बूंदों को देखकर अनुमान लगाया जाता है कि मानसून आने वाला है. कहते हैं यदि गुंबद भीगा हुआ रहता है और बूंदों के गिरने की गति भी तेज होती है अंदाजा लगाया जाता है कि इस बार बारिश अच्छी होगी और 10 से 15 दिन में मानसून आ जाएगा। इसके साह ही यदि छोटी-छोटी बूंदें आती है, तो ये क्षणिक आंधी-बारिश का संकेत देती है।
आने पर बेहोश हो जाते थे लोग
स्थानीय लोगों की मानें तो पुरातत्व विभाग ने कार्बन डेटिंग के जरिये पता किया तो पाया कि ये मंदिर 4 हजार साल पुराना है. पहले कोल-भील समुदाय के लोग रहते थे. कहते हैं कि पहले के समय में एसी शक्ति थी कि कोल-भील समुदाय के अलावा जो भी आता था बेहोश हो जाता था. एक बार शिकार के दौरान राजा शिवि पहुंचे और बेहोश हो गए. बेहोशी के दौरान उन्हें सपना आया कि जंगल की जमीन में एक मूर्ति दबी हुई है. यदि इस मूर्ति को स्थापित कर दिया जाए तो सभी की इच्छाएं पूरी हो जाएंगी. होश आने पर राजा ने उस जगह को खुदवाया और मूर्ति निकलवाई और फिर इस मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर की दीवारें करीब 14 फीट मोटी हैं.
{डिस्क्लेमर: दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. Virat 24 न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता.}