पीजिए चाय🍵,कि आज अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस है;Blue टी & Pink टी के बारे में क्या आप जानते है?

पीजिए चाय,☕ कि आज अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस है; Blue टी & Pink टी के बारे में पढिए

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रविवार, 21 मई…आज का दिन चाय लवर्स का पसंदीदा दिन है क्योंकि ये दिन चाय को समर्पित है। 

“अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 2023″…21 May

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अगर आप चाय ☕के शौकीन हैं या आपने कभी भी चाय पी रखी है, तो इस लेख को अंत तक पढ़िए, यकीन मानिए पढ़ने के साथ साथ चाय के विषय में आप इतना कुछ रोमांचक जानने को पाए कि आप हैरान रह जाएंगे, तो अंत तक इस लेख को पढ़िए और चाय पीते पीते चाय 🍵के विषय में अपनी ज्ञानवृद्धि कीजिए….

विश्व के बहुत से देशों में चाय एक बहुत ही लोकप्रिय और महत्वपूर्ण पेय है।घर, दफ्तर, पार्टी, इंडोर, आउटडोर, सुबह, दोपहर या शाम हर कही मौजूद है चाय और चाय की चुस्कियां लेने वाले लोग।क्या पढ़े लिखे, क्या अनपढ़, क्या अमीर, क्या गरीब चाय की जिसमे जरूर अलहदा हैं पर चाय पीने की एकरूपता जरूर विद्यमान है।आइए आपको चाय और चाय दिवस के बारे में कुछ बाते बताते है…

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस प्रतिवर्ष 21 मई को मनाया जाता है । संबंधित प्रस्ताव 21 दिसंबर, 2019 को अपनाया गया था और संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) से इस दिवस के पालन का नेतृत्व करने का आह्वान किया गया था। इसे 2020 से शुरू किया गया।

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चाय दिवस मनाने का उद्देश्य 

International Tea Day हर साल अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस को सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस, चाय के व्यापार को स्थिरता, उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने पर जोर देता है। साथ ही उन प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है, जो पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देते हैं। हर साल इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य चाय के इतिहास, उत्पादन, खपत और स्वास्थ्य लाभों सहित चाय के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरुकता बढ़ाना है। इसके अलावा यह दिन वैश्विक चाय के महत्व को प्रतिबिंबित करता है।

अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में लंबे इतिहास और चाय के गहरे सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन का लक्ष्य चाय के स्थायी उत्पादन और खपत के पक्ष में गतिविधियों को लागू करने और भूख और गरीबी से लड़ने में इसके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सामूहिक कार्यों को बढ़ावा देना है। इस काम में जुटे श्रमिकों के लिए उचित मजदूरी सुनिश्चित करना हैं और चाय उगाने वाले क्षेत्रों में सामाजिक विकास को बढ़ावा देना भी इसका मुख्य उद्देश्य है। 

अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस का उद्देश्य श्रमिकों और उत्पादकों पर वैश्विक चाय व्यापार के प्रभाव के लिए सरकारों और नागरिकों का वैश्विक ध्यान आकर्षित करना है, और इसे मूल्य समर्थन और निष्पक्ष व्यापार के अनुरोधों से जोड़ा गया है ।

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अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस और भारत 

पहला अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस 2005 में भारत की राजधानी नई दिल्ली में मनाया गया था और बाद में अन्य चाय उगाने वाले देशों – श्रीलंका, नेपाल, वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, केन्या, मलावी, मलेशिया, युगांडा और तंजानिया जैसे देशों में भी मनाया जाने लगा। दस साल बाद, भारत सरकार ने 2015 में चाय पर एफएओ अंतर-सरकारी समूह के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस के पालन का विस्तार करने का प्रस्ताव रखा, जो विश्व स्तर पर चाय के अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए अनेकों प्रयासों का नेतृत्व करता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 मई को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में नामित करने का निर्णय लिया।

भारत , श्रीलंका , नेपाल , वियतनाम , इंडोनेशिया , बांग्लादेश , केन्या , मलावी , मलेशिया , युगांडा और तंजानिया जैसे चाय उत्पादक देशों में 2005 से 15 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है। 

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चाय का इतिहास 

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस बात के सबूत हैं कि 5,000 साल पहले चीन में चाय का सेवन किया जाता था। कहानी यह है कि चीनी सम्राट शेन नुंग ने पहली बार इसका स्वाद चखा था। जब वह और उसके सैनिक एक पेड़ के नीचे आराम करने रुके, तो हवा में उड़ने वाली चाय की कुछ पत्तियां वहां उबलते पानी के एक बर्तन में गिर गईं, जिसके बाद उसमें घुल गईं और आज चाय दुनिया में सबसे अधिक खपत किया जाने वाला पेय बन चुका।चाय को पहली बार 2737 ईसा पूर्व में चीन में खोजा गया था। आज यह एशियाई संस्कृति में एक प्रमुख पेय पदार्थ के रू में उभर चुका है। हालांकि, औषधीय इलाज में बदलने से पहले धार्मिक अनुष्ठानों के रूप में चाय एक प्रतीकात्मक हिस्सा था। चीन के चाय प्रोडक्शन करने के एकाधिकार को चैलेंज करने के लिए अंग्रेजों ने पहली बार 1824 में भारत में चाय की फसल उगाने की शुरुआत की और तब से यह दार्जिलिंग, नीलगिरी और असम में बड़े पैमाने पर उगाया जाने लगा। 

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भारत में उत्पादन
आज भारत में कथित तौर पर 900,000 टन चाय का उत्पादन होता है।

चाय के स्वास्थ्य लाभ

चाय, विशेष रूप से हरी और हर्बल चाय कई स्वास्थ्य लाभों से जुड़ी हुई है क्योंकि यह एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होती है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य और कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस चाय के सेवन के संभावित स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता को फैलाने के लिए भी मनाया जाता है।

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विभिन किस्म की चाय

क्या आप जानते हैं कि चाय के रंग अब सतरंगी इंद्रधनुषी होने लगे हैं. कुछ रंग की चाय के बारे में शायद ही आप जानते होगे। जानें कैसी होती हैं अलग अलग रंगों की चाय और क्या होती है इन रंग-बिरंगी चायों की खासियत :

ब्लैक टी: रोजमर्रा की जो चाय हमारे यहां पी जाती है अगर उसमें बिना दूध डाले पिया जाए तो वो ब्लैक टी कहलाती है। येे चाय भारत, चीन, तिब्बत, मंगोलिया जैसे देशों में पैदा होती है. ये चाय की पत्तियों को सुखाकर तैयार की जाती है।

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 ग्रीन टी: सेहत के लिए ग्रीन टी बहुत फायदेमंद मानी जाती है। भारत और चीन में इसका उत्पादन होता है। ग्रीन टी में डायबिटीज, कैंसर, और मानसिक बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है। यह वजन घटाने में भी बहुत कारगर पाई गई है।

ब्लू टी: इसे देखकर आपके लिए यह मान पाना मुश्किल होगा कि नीले रंग का यह पेय पदार्थ दरअसल एक किस्म की चाय है।अपराजिता नाम के नीले फूल से बनी यह कैफीन रहित हर्बल चाय होती है। यह याददाश्त बढ़ाने में सहायक है, साथ ही एंग्जायटी घटाती है, अस्थमा में आराम पहुंचाती है, बुखार ठीक करती है और डायबिटीज की रोकथाम में मदद करती है।

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रेड टी: दक्षिण अफ्रीका में उगने वाले ‘एस्पैलाथस’ नाम के एक पेड़ से मिलती है रेड टी। इसे रूबोस टी भी कहा जाता है. ग्रीन टी की तुलना में इसमें 50% अधिक एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। यह पाचन में मदद करती है, बालों को मजबूत करती है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है।

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यलो टी: ग्रीन टी के बाद सबसे ज्यादा पी जाने वाली चाय है यलो टी. ये चाय चीन से पूरी दुनिया में फैली। इसका रंग लाने के लिए इसकी पत्तियों को ख़ास तरीके से तैयार किया जाता है। इसका स्वाद ग्रीन टी के कडुए स्वाद के विपरीत फलों जैसा होता है. इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट ग्रीन टी के बराबर ही होते हैं।

पिंक टी: यह हिबिस्कस यानी गुड़हल के फूल से बनाई जाती है। स्वास्थ्य की नजर से यह बहुत फायदेमंद होती है. यह डायबिटीज और पेट की समस्याओं से निजात दिलाती है।

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