
RTI एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी: जिले के सरकारी तालाबों के अतिक्रमण को लेकर दायर करेंगे इंटरवेंशन याचिका
- रीवा जिले के 7 तत्कालीन कलेक्टर ने अवमानना से बचने के लिए हाईकोर्ट में दिया भ्रामक जानकारी
- कलेक्टरों के दावे के अनुसार अब मात्र 3 तालाब ही अतिक्रमण युक्त!
- भौतिक सत्यापन से सामने आई हकीकत
- वरिष्ठ अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा मामले की कर रहे पैरवी

रीवा: उल्लेखनीय है कि जिले के सरकारी तालाबों में बेजा अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट (जबलपुर) में लगाई गई एक जनहित याचिका में सुनवाई के बाद जिले के तत्कालीन 07 कलेक्टरों को अवमानना की नोटिस जारी हुई थी।
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इस मामले में एक दशक से रीवा जिले में पदस्थ रहे तत्कालीन 07 कलेकटरों को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर हलफनामे के साथ जवाब देना था। अपने जवाब के दौरान इन 07 कलेक्टरों ने हाईकोर्ट में जो जानकारी दी है, वह भ्रमित करने वाली है। जहां कई कलेक्टरों ने तो हाईकोर्ट के सामने माफी तक मांग लीI वहीं कुछ कलेक्टरों ने कहा की रीवा जिले के सरकारी तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करवाया जा चुका हैI मात्र 3 तालाब ही शेष बचे हैं जिनका अतिक्रमण जल्द ही मुक्त करवा लिया जाएगा।
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उक्त मामले में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने कुछ तहसीलों के लगभग दो दर्जन तालाबों पर जाकर उनका निरीक्षण और भौतिक सत्यापन किया तो पाया की, सरकार के सभी दावे झूठे हैं और कलेक्टरों ने अपनी जान छुड़ाने के लिए और हाईकोर्ट में अवमानना से बचने के लिए झूठ के पुलिंदे तैयार कर लिए।
वास्तव में देखा जाए तो जिन तालाबों को अतिक्रमण मुक्त होना बताया गया, उनके भीटों और आसपास के क्षेत्र में लोगों ने पक्के मकान तक बना लिए हैं। गांव वालों ने कई तालाबों के रकबे का काफी बड़े होना बताया लेकिन मौके पर वह तालाब कम रकबों में सिमटे हुए नजर आए।
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इस प्रकार लगभग दो दर्जन तालाबों में किए गए सर्वे में कलेक्टरों के झूठ की पोल खुल गई है। अब इस मामले को लेकर शिवानंद द्विवेदी हाईकोर्ट में इंटरवेंशन फाइल करेंगे और सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति में सभी तालाबों का भौतिक सत्यापन और जांच की जाएगी तब वैसे ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
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कितनी विडंबना है की एक तरफ, यह आला अधिकारी शासकीय संपत्ति को क्षति पहुंचाने वाले और अतिक्रमण करने वाले लोगों को खुली छूट देकर रखते हैं और जब बात इनके माथे पर आती है तो अपने बचाव में, झूठ के नए-नए पुलिंदे गढ़ते रहते हैं।
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यदि देखा जाए तो सरकारी तालाबों पर अतिक्रमण को लेकर लगाई गई इस याचिका में जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा के द्वारा जो जानकारी दी गई है, उससे सरकार की कारगुजारी सामने आ चुकी है।
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अब तो बस इंतजार इस बात का है कि जैसे ही इन सरकारी तालाबों का भौतिक सत्यापन और जांच हो जाए वैसे ही एक बार पुनः सभी कलेक्टर कटघरे में खड़े हो जाएंगे।

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