अम्बेडकर जयंती पर आजीवन कारावास की सजा काट रहे 11 बंदी केंद्रीय जेल से हुए रिहा

सतना देश के संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में शासन के आदेश पर केंद्रीय जेल सतना में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 11 बंदियों को रिहा किया गया।
इस अवसर पर जेल अधीक्षक लीना कोष्ठा एवं अन्य जेल अधिकारी तथा रिहा होने वाले बंदियों के परिजन उपस्थित रहे। बंदी जैसे ही जेल से बाहर आये, उनके इंतजार में खड़े परिजनों की आंखें छलक उठीं सभी हत्या के आरोप में काट रहे थे सजा अम्बेडकर जयंती के उपलक्ष्य में रिहा होने वाले बंदियों में आजीवन कारावास की 20 वर्ष की सजा काट चुके सतना के 3, पन्ना के 3, छतरपुर के 4 एवं रीवा के 1 बंदी शामिल है। ये सभी हत्या के आरोप में न्यायालय के आदेश पर सजा भुगत रहे थे।

जेल अधीक्षक ने रिहा होने वाले सभी बंदियों को मुक्त होने की बधाई देते हुये कहा कि जीवन में कभी भी आवेश में आकर ऐसा कदम न उठावें जिसका परिणाम दुःखद हो । किसी भी व्यक्ति के
जेल जाने पर समूचे परिवार पत्नी, बच्चों, माता-पिता सभी को उसके कृत्य की सजा भोगनी पड़ती है। परिजनों से बिछोह के अलावा सामाजिक, आर्थिक समस्याओं सामना का संबंधित परिवार को उठाना पड़ता है। लिहाजा तनाव मुक्त संयमित जीवन शैली अपना कर अच्छे से अच्छा काम करके खोई हुई सामाजिक प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त करने का प्रयास करें।

इस मौके पर जेल अधीक्षक लीना कोष्ठा ने सश्रम कारावास की सजा काट रहे सभी बंदियों को उनके कार्य के मुताबिक प्राप्त होने वाले शेष पारिश्रमिक का भुगतान किया तथा जेल में रहकर अलग-अलग ट्रेड में प्राप्त किये गये प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र भी उनको प्रदान किया।
यहां उल्लेखनीय है कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक बंदी ने जेल में रहते हुये इग्नू यूनिवर्सिटी से बीसीए की परीक्षा उत्तीर्ण करके भविष्य के लिये नई राह पर चलने का संकेत दिया है।