रीवा: गौशाला निर्माण में जमकर हो रहा भ्रस्टाचार, कोनी कला की ग्राउंड रिपोर्ट

रीवा: गौशाला निर्माण में जमकर हो रहा भ्रस्टाचार, कोनी कला की ग्राउंड रिपोर्ट

  • गौशाला के नाम पर रीवा जिले में बड़ा घोटाला, कोनी कला ताजा उदाहरण
  • घटिया गुणवत्ताविहीन कार्य का ग्रामीणों ने किया विरोध
  • अमानक सामग्री के प्रयोग से गोशाला योजना पर प्रश्नचिन्ह
  • हिंदूवादी सरकारों के शासन में बेजुबान गोवांशों के साथ अन्याय
  • भ्रष्टाचारियों ने गौमाता को भी नही बख्शा
  • मनरेगा के कार्य यूपी के मजदूरों से कराए जा रहे
  • पूर्व सचिव विवेकानंद पांडेय का कारनामा
  • कोनी कला जवा जनपद का है मामला

रीवा: मध्यप्रदेश में गोमाताओं के लिए बनाई जा रही गौशालाओं में जमकर भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है। ताजा मामला रीवा जिले के जवा जनपद अंतर्गत कोनी कला ग्राम पंचायत का है जहां पिछले कार्यकाल में राशि आहरण किए जाने के बाद अब काम कराया जा रहा है जबकि मनरेगा के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।

मौके पर जब मीडिया के लोग पहुंचे तो उपस्थित मजदूरों से पूछताछ में पता चला कि लगभग 14 मजदूर उत्तर प्रदेश चित्रकूट से बुलाए गए हैं जिनसे मनरेगा योजना की लगभग 37 लाख रुपए की लागत का कार्य करवाया जा रहा है। मजदूरों के मुखिया शंकर रावत ने बताया कि वह चित्रकूट निवासी हैं और उनके गांव के आसपास के 14 मजदूर लेकर कोनी कला में गौशाला बनाने के लिए ठेकेदार के द्वारा उन्हें बुलाया गया है। जानकारी लेने पर पता चला कि शंकर रावत ने जिस ठेकेदार का नाम बताया है वह कोनी कला ग्राम पंचायत के पूर्व सचिव रह चुके हैं। बड़ा सवाल यह था कि पूर्व के पंचायती कार्यकाल में पदस्थ रहे सचिव के द्वारा अपने आप को ठेकेदार बताते हुए कैसे उत्तर प्रदेश से मजदूरों को बुलाकर वर्तमान पंचायती कार्यकाल में मनरेगा योजना की गौशालाओं के कार्य करवाए जा रहे हैं।

इस पूरे मामले से शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जाता है। यह हाल मात्र कोनी कला ग्राम पंचायत का ही नहीं है बल्कि देखा जाए तो संपूर्ण रीवा जिले और पूरे मध्यप्रदेश में यही हाल हैं जहां गौशालाओं के कार्य अधूरे पड़े हैं और ठेकेदारी प्रथा से काम कराए जा रहे हैं। गौशालाओं के पैसे भ्रष्टाचारी लेकर उड़न छू हो गए हैं। जिन गौशालाओं में गोवंशों को सुरक्षा पोषण और संवर्धन देने का सपना प्रदेश सरकार के द्वारा दिखाया गया था वहां भ्रष्टाचार के नंगे नाच चल रहे हैं। बड़ा सवाल यही है कि आखिर इस भ्रष्टाचार की निगरानी कौन करता है? ग्राम पंचायतों में बड़ी योजनाओं के तहत कराए जा रहे बड़े निर्माण कार्यों की निगरानी करने की जिम्मेदारी जनपद और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के अधीन रहती है। लेकिन जब स्वयं अधिकारी ही सर से पांव तक भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी में डूबे हुए हैं तो ऐसे में सवाल यह है कि निगरानी कौन करेगा। ग्राम पंचायतों के सरपंच सचिव बिना मूल्यांकन किए हुए और बिना पंचायत सामग्री माल क्रय अधिनियम का पालन किए हुए दनादन पैसा आहरित कर रहे हैं और यह कमीशन ऊपर तक पहुंचा रहे हैं तो ऐसे में निगरानी करने वाला भी आंख में पट्टी बांधे बैठा हुआ है जिसका नतीजा कई ग्राम पंचायतों में देखने को मिल रहा है जहां सरकार की महत्वाकांक्षी गौशाला योजना भ्रष्टाचार की बलि चढ़ती जा रही है।(report: Activist Shivanand Dwivedi)

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