क्या पुतिन होंगे भारतीय रूपये के आगे बेबस ? क्या रूस का संकट भारत के लिए बनेगा फायदा ?

क्या पुतिन होंगे भारतीय रूपये के आगे बेबस ? क्या रूस का संकट भारत के लिए बनेगा फायदा ?

क्या रूस का संकट भारत के लिए बन सकता है मौका?

भारत रूस (Russia) का संबंध बहुत पुराना है। रूस यूक्रेन जंग के दौरान भी भारत ने हमेशा रूस का साथ दिया। भारत ऐसा देश था जिसने अपनी दोस्ती हमेशा निभाई है। जंग के दौरान ही रूस (Russia) ने भारत को तेल बेचना शुरू किया।
यूक्रेन की जंग के बाद प्रतिबंधों में घिरे रूस के सामने रुपए को कैसे प्रयोग किया जाए, यह समस्‍या खड़ी हो गई है। लेकिन दूसरी तरफ विशेषज्ञों की मानें तो रुपए के भारी भंडार को प्रयोग करने के लिए निवेश के और बढ़ाना पड़ सकता है। एक अनुमान के मुताबिक इस समय रूस के पास दो अरब डॉलर से ज्‍यादा की धनराशि इकट्ठी हो गई है जो रुपए में है।

सूत्रों की मानें तो रूस के पास देश से बाहर इस पैसे को लेकर जाने का विकल्‍प खत्‍म होता जा रहा है। भारत और रूस के बीच तेल के व्‍यापार यूक्रेन जंग के बाद तेजी से बढ़ा है। मगर रूस रुपए में पेमेंट लेने से कतरा रहा है।

सूत्र की मानें तो भारत ने रूस की तरफ से आए उस प्रस्‍ताव को मानने से इनकार कर दिया है जिसमें ईरान का जिक्र था। रूस की तरफ से प्रस्‍ताव में ईरान को भारतीय सामान आयात करने और रूस के पास जमा रुपए के भंडार का प्रयोग करने का जिक्र था। भारत का मानना है कि इस प्रस्‍ताव से कई राजनयिक जोखिम जुड़े हुए हैं।

इसके अलावा ईरान फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्‍ट में है। साथ ही यूएई के बैंकों पर पश्चिमी देशों की नजर है। यहां पर होने वाले मुद्रा लेनेदेन की जांच की वजह से रुपए के भंडार को दिरहम में बदलने का रास्‍ता भी बंद हो चुका है। बिजनेस लाइन ने सूत्रों के हवाले से लिखा है, ‘ रूस इस समय मजबूर है क्योंकि उसे भारत में जमा रुपए के भंडार को बाहर निकालना मुश्किल हो गया है।

आयात के भुगतान के लिए इसका उपयोग करने में भी वह सक्षम नहीं है क्योंकि गुणवत्ता जैसे मसलों की वजह से वह भारत से ज्‍यादा खरीद नहीं कर रहा है। ऐसे में अब रूस को सरकारी प्रतिभूतियों और भारतीय इक्विटी बाजार में अधिक निवेश करने पर विचार करना होगा और वह हमेशा इससे परहेज करता आया है।’ ईरान इस बात पर राजी था कि रूस से मिली रकम की मदद से वह भारतीय सामान खरीदेगा। ईरान इस बात पर भी राजी था कि रूस से सामान जैसे एयरक्राफ्ट के उपकरण, आयात करके वह अपना अकाउंट पुतिन सरकार के साथ खोल लेगा। मगर भारत ने इसे मानने से इनकार कर दिया है।

सूत्रों की मानें तो यह कूटनीतिक तौर पर बुद्धिमान कदम नहीं होता क्‍योंकि रूस, यूक्रेन युद्ध में ईरानी ड्रोन का प्रयोग कर रहा है।

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