
मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है
कहते हैं अयोध्या के कण-कण में प्रभु श्रीराम वास करते हैं. अयोध्या की महिमा त्रेता युग से चली आ रही है. सैकड़ों वर्षों के बाद जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया राम भक्तों के साथ-साथ पूरा विश्व अयोध्या पर केंद्रित हो गया. मठ-मंदिरों की इस नगरी में आध्यात्म और सनातन संस्कृति का समागम इतना गहरा है कि यहां आने वाला हर कोई प्रभु का होकर रह जाता है. यही कारण है कि रामनगरी अयोध्या के हर मठ-मंदिर की अपना परंपरा और अपनी पहचान है. ऐसे ही एक मंदिर की बात आज हम करने जा रहे हैं, जिस आप आज तक अनजान थे.
वैसे अयोध्या के मंदिर हर मठ मंदिर में भगवान राम और माता जानकी की पूजा आराधना की जाती है, लेकिन प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित है निषाद मंदिर. जहां भगवान राम, माता सीता, भैया लक्ष्मण के साथ-साथ निषाद राज की भी विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है.