रावण ने कैसे हथियाई सोने की लंका,जबकि शिव परिवार के लिए बना था महल? पढ़ें रोचक कथा

रावण की कैसे हो गई सोने की लंका, जबकि शिव परिवार के लिए बना था महल?पढ़ें रोचक कथा

शिव परिवार के लिए बना था महल, फिर रावण की कैसे हो गई सोने की लंका? पढ़ें रोचक कथा

कहानी रावण और उसकी सोने की लंका की…

क्या आप जानते हैं कि सोने की लंका के निर्माण की कहानी महादेव और माता पार्वती से जुड़ी हुई है. मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने सोने की लंका का निर्माण माता पार्वती के कहने पर करवाया था. इसकी खूबसूरती देखते ही बनती थी. माता पार्वती के श्राप के कारण सोने की लंका में आग लगी थी. हनुमान जी केवल एक जरिया थे, जिन्होंने माता पार्वती के उस श्राप को पूरा किया था.

हिंदू धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि रामायण काल में सोने की लंका हुआ करती थी.

रामायण काल में सोने की लंका के चर्चे बहुत दूर-दूर तक फैले हुए थे.
रावण ने स्वर्ण नगरी को देखा, वह सोने की लंका को देखकर मोहित हो गया.

Ravana Golden Lanka : रामायण में रावण के चित्र के साथ सोने की लंका के बारे में भी काफी चर्चाएं होती रहती हैं. मान्यताओं के अनुसार, रावण की लंका सोने से बनी थी. इसकी खूबसूरती देखते ही बनती थी. माना यह भी जाता है कि हनुमान जी ने दशानन रावण की सोने की लंका को आग लगाकर नष्ट कर दिया था, लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं, कि सोने की लंका आखिर किसने बनाई थी. सोने की लंका माता पार्वती और महादेव के साथ जोड़कर देखा जाता है. रामायण में जिस सोने की लंका का वर्णन मिलता है. वह रावण कि नहीं है, कहा जाता है कि इसका निर्माण भगवान शिव ने माता पार्वती के कहने पर करवाया था. चलिए जानते हैं कि सोने की लंका किसने और क्यों बनवाई थी?


किसने बनावाई सोने की लंका
हिंदू धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि रामायण काल में सोने की लंका हुआ करती थी. बताया ये भी जाता है कि सोने की लंका को भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए बनवाया था. कथाओं के अनुसार माता पार्वती और शिव भगवान शिव का निवास हिमालय में था. वे बहुत ही सामान्य जीवन जीते थे. उन्हें किसी तरह के आलीशान महलों की जरूरत नहीं थी, मगर एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से देवताओं की तरह कोई महल बनवाने के लिए कहा, तब भगवान शिव ने विश्वकर्मा और कुबेर को बुलाकर समुद्र के बीच में सोने का महल बनवाया. इसे ही सोने की लंका कहा जाता है.

रावण को कैसे मिली सोने की लंका
मान्यताओं के अनुसार, रामायण काल में सोने की लंका के चर्चे बहुत दूर-दूर तक फैले हुए थे. एक बार रावण वहां से गुजरा तो उसने उस स्वर्ण नगरी को देखा, वह सोने की लंका को देखकर मोहित हो गया. उसके मन में लालच आ गया. रावण, ब्राह्मण का वेश धारण कर भगवान शिव के पास गया और दान में सोने की लंका मांग ली, भगवान शिव भोलेनाथ हैं, उन्होंने रावण को लंका दान में दे दी. इस तरह रावण ने धोखे से सोने की लंका भगवान शिव और माता पार्वती से हथिया ली. माना ये भी जाता है कि रावण ने धनपति कुबेर से सोने की लंका बलस्वरूप छीन ली थी.

माता पार्वती ने दिया था रावण को श्राप
कथाओं के अनुसार, जब माता पार्वती को रावण के छल कपट से सोने की लंका हथिया लेने की बात पता चली, तो वे गुस्से में आग बबूला हो गईं. माता पार्वती ने रावण को श्राप दिया, कि 1 दिन लंका आग में भस्म हो जाएगी और कुछ सालों बाद माता पार्वती के श्राप को हनुमान जी ने पूरा किया. जब माता सीता का अपहरण करके उन्हें लंका ले आया, तो हनुमान जी उनसे मिलने लंका आए, तभी हनुमान जी ने रावण की स्वर्ण लंका में आग लगा दी. 

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