मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की अनुशंसा पर सरकार ने अलग-अलग जिलों में पदस्थ 6 महिला न्यायाधीशों की सेवा समाप्त कर दी है।

  • पुअर परफॉर्मेंस के चलते 6 महिला जज बर्खास्त
  • तीन करप्ट ऑफिसर्स की संपत्ति होगी राजसात
  • चुनावी साल में सरकार सख्त

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की अनुशंसा पर सरकार ने अलग-अलग जिलों में पदस्थ 6 महिला न्यायाधीशों की सेवा समाप्त कर दी है। प्रोबेशन पीरियड में इन महिला जजों का परफॉर्मेंस ठीक न होने के चलते कार्रवाई की गई है। विधि-विधायी कार्य विभाग ने इसके आदेश जारी किए गए हैं।

विधि-विधायी विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि परिवीक्षा अवधि संतोषजनक और सफलतापूर्वक निर्वहन नहीं कर पाने के कारण यह निर्णय किया गया है। इसे लेकर पिछले महीने 8 से 10 मई के बीच प्रशासनिक समिति की बैठक हुई थी। बाद में 13 मई को फुल कोर्ट मीटिंग में इस पर अंतिम फैसला किया गया था। बैठक में सभी छह महिला जजों को सेवा मुक्त करने की अनुशंसा की गई थी।

जिन महिला न्यायाधीशों की सेवाएं समाप्त की गई हैं, उनमें न्यायिक सेवा की सदस्य सरिता चौधरी द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश उमरिया, रचना अतुलकर जोशी द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश त्योंथर जिला रीवा, प्रिया शर्मा प्रथम व्यवहार न्यायाधीश अंबेडकरनगर इंदौर, सोनाक्षी जोशी प्रथम व्यवहार न्यायाधीश के अधीन पंचम अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश मुरैना शामिल हैं। साथ ही, अदिति शर्मा पंचम व्यवहार न्यायाधीश टीकमगढ़ और ज्योति बरवड़े व्यवहार न्यायाधीश टिमरनी जिला हरदा के नाम शामिल हैं। यह सभी अधिकारी कनिष्ठ खंड के न्यायिक सेवा के सदस्य रहे हैं, जिन्हें अच्छा परफॉर्म न करने के कारण सेवा से टर्मिनेट किया गया है।

इंदौर में उपायुक्त आबकारी रहे नवल सिंह जामोद, इंदौर में लोक निर्माण विभाग के टाइम कीपर के पद पर पदस्थ रहे गुरुकृपाल सिंह सुजलाना और कार्यालय उपायुक्त राहत में संयुक्त आयुक्त के पद पर रहे डॉ. रविकांत द्विवेदी के खिलाफ जांच की गई थी। जांच में पाया गया कि तीनों अधिकारियों ने आय के अधिक संपत्ति अर्जित की है। तीनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें तीनों दोषी पाए गए हैं।

राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक तीनों अधिकारियों की वैधानिक आय के अतिरिक्त जमा संपत्ति को राजसात कर

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