जब अंधविश्वास में फंसकर 900 से भी अधिक लोगों ने कर लिया था सुसाइड, दिल दहला देती है कहानी

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि बिल्ली के रास्ता काट देने से अपशगुन होता है। यहां तक कि लोग छींकने तक को भी अंधविश्वास की श्रेणी में रखते हैं। वैसे ये सब अंधविश्वास बहुत ही मामूली हैं। आज हम आपको एक ऐसे दिल दहला देने वाले अंधविश्वास के बारे में बताएंगे, जिसके कारण अमेरिका के पास स्थित गुयाना के जोंसटाउन में एक साथ 900 से भी अधिक लोगों ने आत्महत्या कर ली थी?

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि बिल्ली के रास्ता काट देने से अपशगुन होता है। यहां तक कि लोग छींकने तक को भी अंधविश्वास की श्रेणी में रखते हैं। वैसे ये सब अंधविश्वास बहुत ही मामूली हैं। आज हम आपको एक ऐसे दिल दहला देने वाले अंधविश्वास के बारे में बताएंगे, जिसके कारण अमेरिका के पास स्थित गुयाना के जोंसटाउन में एक साथ 900 से भी अधिक लोगों ने आत्महत्या कर ली थी?

18 नवंबर 1978 को घटी इस घटना के बारे में जो भी सुनता है हैरत में पड़ जाता है। दरअसल, इस घटना के पीछे जिम जोंस नामक एक धर्मगुरु का हाथ था। वो खुद को भगवान का अवतार बताता था। जिम जोंस ने लोगों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए जरूरतमंद लोगों की मदद के नाम पर साल 1956 में ‘पीपल्स टेंपल’ (लोगों का मंदिर) नाम का एक चर्च बनाया और अपनी धार्मिक बातों और अंधविश्वास के दम पर उसने हजारों लोगों को अपना अनुयायी बना लिया।

जिम जोंस कम्युनिष्ट विचारधारा का था और उसके विचार अमेरिकी सरकार से अलग थे। इसलिए वो अपने अनुयायियों के साथ शहर से दूर गुयाना के जंगलों में चला गया और वहीं पर उसने एक छोटा सा गांव भी बसा दिया। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही उसकी असलियत लोगों के बीच आने लगी। वो अपने अनुयायियों (चाहे वो महिला हो या पुरुष) से दिनभर काम कराता था और रात में जब वो थक-हारकर सोने के लिए जाते, तो वो उन्हें सोने भी नहीं देता था और अपना भाषण शुरू कर देता था। इस दौरान उसके सिपाही घर-घर जाकर देखते थे कि कहीं कोई सो तो नहीं रहा।

जिम जोंस का अंधविश्वास का जाल इतना फैल चुका था कि वो अपने अनुयायियों से कुछ भी कहता, तो लोग उसे मान लेते थे। इसी बीच अमेरिकी सरकार को वहां हो रही गतिविधियों के बारे में पता चला। सरकार ने जिम जोंस पर कार्रवाई करने की सोची। लेकिन इसका पता जिम जोंस को भी चल गया और उसने अपने सभी अनुयायियों को एक जगह इकट्ठा होने को कहा।

जिम जोंस ने इक्ट्ठा हुए लोगों से कहा कि ‘अमेरिकी सरकार हम सबको मारने आ रही है। इससे पहले कि वो हमें गोलियों से छलनी करें, हम सबको पवित्र जल पी लेना चाहिए। ऐसा करने से हम गोलियों के दर्द से बच जाएंगे।’ अगर हमलोग इस पवित्र जल को नहीं पीते हैं तो वो हमें बम से उड़ा देंगे और जो बच जाएंगे उनके साथ जानवरों जैसा सलूक करेंगे। महिलाओं के साथ रेप करेंगे, बच्चों को तरह-तरह की तकलीफें देंगे। इसलिए हमें खुद को उनसे बचाने के लिए पवित्र जल पीना पड़ेगा।

जोंस ने पहले ही एक बड़े से टब में खतरनाक जहर मिलाकर एक सॉफ्ट ड्रिंक बनवा लिया था और लोगों को पीने के लिए दे दिया। इस दौरान जिसने भी जहरीला ड्रिंक पीने से मना किया, उन्हें जबरन पिलाया गया। इस तरह एक अंधविश्वासी के चक्कर में पड़ 900 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इनमें 300 से अधिक बच्चे भी शामिल थे। इस घटना को अब तक के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि लोगों के मरने के बाद जिम जोंस का शव भी एक जगह पाया गया था। उसने खुद को गोली मार ली थी या शायद किसी ने उसके कहने पर उसे गोली मारी थी।

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